कहां हैं, कहां हैं कहां हैं ??
कहां हैं, कहां हैं कहां हैं ??
वो झूठे जो आरोप, कहते न थकते
थी आंखों पे पट्टी, सदा हमसे लडते
जो कहते थे साधू है हिन्दू धरम का
जो कहते थे पकडा है मसला भरम का
कहां जा छुपे आज भक्त वे कहां है
कहां राजदार वे प्रशंसक कहां हैं
कहां है कहां हैं कहां हैं ??
नहीं है किया इसने शर्मसार इंसा
नहीं है किया कोई मामूली हिंसा
है ये तो लुटेरा जग मानव धरम का
नहीं कोई रिश्ता है इसका शरम का
कहां है वे संगे, अनुयायी कहां है
इस पाखंडी के आततायी कहां हैं
कहां हैं कहां हैं कहां हैं ??
जरा आज आओ न मुख युं छुपाओ
था निर्लज्ज वो पर न तुम अब लजाओ
उठा लो पताका रणभेरी सजाओ
इस जग को चलो ढोंगियों से बचाओ
कहां हो भरत भूमि भूषण कहां हो
कहां हो मेरे सब विदूषक कहां हो
कहां हो, कहां हो, कहां हो
मनोज