अपना ब्लॉगविचार मंच

कहां हैं, कहां हैं कहां हैं ??

कहां हैं, कहां हैं कहां हैं ??

वो झूठे जो आरोप, कहते न थकते
थी आंखों पे पट्टी, सदा हमसे लडते
जो कहते थे साधू है हिन्‍दू धरम का
जो कहते थे पकडा है मसला भरम का
कहां जा छुपे आज भक्‍त वे कहां है
कहां राजदार वे प्रशंसक कहां हैं
कहां है कहां हैं कहां हैं ??
30_09_2013-asaramsilpi30

 

 

 

 

 

 

नहीं है किया इसने शर्मसार इंसा
नहीं है किया कोई मामूली हिंसा
है ये तो लुटेरा जग मानव धरम का
नहीं कोई रिश्‍ता है इसका शरम का
कहां है वे संगे, अनुयायी कहां है
इस पाखंडी के आततायी कहां हैं
कहां हैं कहां हैं कहां हैं ??

जरा आज आओ न मुख युं छुपाओ
था निर्लज्‍ज वो पर न तुम अब लजाओ
उठा लो पताका रणभेरी सजाओ
इस जग को चलो ढोंगियों से बचाओ
कहां हो भरत भूमि भूषण कहां हो
कहां हो मेरे सब विदूषक कहां हो
कहां हो, कहां हो, कहां हो

मनोज

मनोज कुमार श्रीवास्तव

कुछ खास नहीं..... बचपन से ही लेखन का शौक रहा....... परन्तु क्षुधा शांत करने के लिए संभवतः ये पर्याप्त नहीं.....अतः बैंक में रोजगार ढूंढ लिया....... लेखन कार्य शिथिल तो पढ़ा......समाप्त न हो सका........कहते है न कि कुछ कीड़े आराम से नहीं मरते .....सो ऐसी ही कुछ मेरे साथ भी हुआ...... समय बीतता गया........ समय का अभाव भी.... परन्तु ईश्वर कि कृपा से मेरी प्रथम पुस्तक "अवशेष" वर्ष २००७ में प्रकाशित हो गई...... लोग कहते है कि अच्छी कहानियां है उसमे...... समय मिले तो पढियेगा...... पुस्तक न मिले और पढने कि इच्छा हो, तो मुझे अवश्य बताइयेगा... ... ब्लॉग से जुड़ा तो एक नई विधा समझ में आई......प्रयास करता हूँ कि अपने मनोभाव व्यक्त कर सकू....... आप सभी गुणीजनों का आशीष अपेक्षित है......

Related Articles

Back to top button