एक और ‘खास संकेत’, किला उगल सकता है सोना
इतिहास इशारा कर रहा है कि डौंडिया खेड़ा के राव राम बक्स सिंह के किले में सोना मिलेगा। बैसवारा क्षेत्र के बुजुर्ग अपने पूर्वजों से मिली जानकारी के संस्मरण बताते हुए संत शोभन सरकार के दावे पर अपनी मुहर लगा रहे हैं।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) जमीन के अंदर धातु होने की पुष्टि कर चुकी है।
साहित्यकार वासुदेव सिंह की किताब ‘बैसवारा का इतिहास’ इशारा करती है कि विस्मृत हो चुका राव राम बक्स सिंह का किला सोना उगल सकता है। बाबू राम बक्स पर चले मुकदमे संबंधी मिसिल (फाइल) भी किले में खजाना होने की पुष्टि करती है।
शहर से 70 किमी दूर गंगा नदी के किनारे स्थित राव राम बक्स सिंह का किला दुर्गम स्थान और गंगा नदी से लगा होने के कारण खजाने को सुरक्षित रखने के लिए उस समय तिजोरी की तरह था।
राव राम बक्स सिंह के बिठूर के राजा नाना राव पेशवा के अलावा देश के कई बड़े राजघरानों से घनिष्ठता थी।
1857 के प्रथम स्वाधीनता आंदोलन में जब ब्रिटिश हुकूमत ने राजाओं पर हमला कर लूटमार शुरू की तो इन राजाओं ने अपने अकूत खजाने को छिपाने के लिए राव राम बक्स सिंह के इस किले को सबसे सुरक्षित माना और गंगा नदी के रास्ते नावों से खजाना लाकर इसी किले में छिपा दिया।
खजाने की रखवाली के बदले खजाना रखने वाले राजा, राव रामबक्स को मोटा महसूल (फीस) भी अदा करते थे।
दुनिया में गूंज रही कुदालों की आवाज
डौंडिया खेड़ा में सुनहरे खजाने पर चल रही छोटी कुदालों की धमक पूरे देश-दुनिया में गूंज रही हैं। शहर से लेकर गांव तक बच्चे हों या बूढ़े किले की सीने में दफन राज जानने को लेकर उत्सुक हैं।
पांच दिन की खुदाई में भले ही अभी तक ईंट, टूटे बर्तन, कुछ हड्डियां, टूटी चूड़ियां, पुराना तंदूरनुमा चूल्हा और लोहे की जंग लगी कील ही हाथ लगी हो लेकिन किले में दबे सोने से देश को सर्व शक्तिमान बनाने का सपना देखने वाले संत शोभन सरकार के दावों से लोगों का विश्वास और हौसला बढ़ता जा रहा है।
संत के शिष्य व प्रवक्ता स्वामी ओम जी ने एक बार फिर दोहराया है कि 16 फीट गहराई के बाद खजाना निकलेगा और जरूर निकलेगा। इस बीच, लोगों में सोना वाले गांव को लेकर क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। लोग लगातार गांव पहुंच रहे हैं।
मुकदमे की फाइल से मिला था किले का नक्शा
‘बैसवारा का इतिहास’ किताब में राव राम बक्स के अभियोग संबंधी मिसिल (पत्रावली) में नत्थी किले का नक्शा दर्शाया है जिसे बाबू बसंत सिंह की बारादरी भी कहा जाता था।
बाबू राम बक्स सिंह के खिलाफ चलाए गए मुकदमे संबंधी फाइल में किले के नक्शे का विवरण देते हुए पूरब दिशा में एक शिवाला दर्शाया गया है। पश्चिम में एक कुआं (चाह पुख्ता) पक्का है। पूरब में आमने-सामने दो फाटक और इन फाटकों के बीच में विशाल प्रांगण (सहन) दर्शाया गया है। किले के इस प्रांगण में नारंगी और अनार के वृक्ष हुआ करते थे।
प्रांगण के बाद उत्तर दिशा में अस्तबल हुआ करता था और दक्षिण दिशा में खिड़की (छोटा दरवाजा) था। दक्षिण दिशा में एक तरफ पिछवाड़े का बाग था इसमें एक अनार का पेड़ लगा था। पिछवाड़े के बाद दक्षिण दिशा में राजा की कचहरी कोठी थी। उत्तर और दक्षिण के बीच हवेली स्थित थी। हवेली के पूरब की तरफ उसका बरोठा (बरामदा) और दरवाजा था। हवेली के चारों तरफ बड़े-बड़े दलान थे।
हवेली के बाद उत्तर दिशा में बड़ा रसोई घर और इसके बाद एक और आंगन था। आंगन के पश्चिम की तरफ बैठका था और यहां एक नारंगी का पेड़ लगा था। मुकदमे की मिसिल (फाइल) में बताया गया है कि उत्तर दिशा वाले आंगन में नारंगी के पेड़ के नीचे जमीन खोद कर खजाना छिपाया गया था। हालांकि मुकदमा फाइल में इसका कोई जिक्र नहीं है कि यह कोष कौन ले गया। किले के इस नक्शे पर तहसीलदार सोहनलाल और कानूनगो माता दीन के हस्ताक्षर हैं।
खजाने की खोज में कहां तक पहुंची एएसआई
तारीख—खुदाई(से.मी)—सामग्री
18 अक्तूबर—15—कंक्रीट के टुकड़े
19 अक्तूबर—55—मिट्टी क टूटे बर्तन
20 अक्तूबर—32—दीवार, टूटे बर्तन
21 अक्तूबर—48—पुराना चूल्हा, चूड़ी
22 अक्तूबर—42—लोहे की कील, बर्तन
(एएसआई टीम ने 5 दिन में 1.92 मीटर खुदाई की)
बुधवार को नहीं हुई खजाने की खुदाई
पुरातत्व कर्मियों के साप्ताहिक अवकाश के कारण डौंडिया खेड़ा में बुधवार को राव राम बक्स सिंह के किले में खुदाई तो बंद रही।