नई दिल्ली, कांग्रेसनीत संप्रग सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू कराने का पूरा श्रेय लेने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर ‘इंदिराम्मा अन्न योजना’ करने जा रही है। दरअसल, कांग्रेस चाहती है कि विपक्ष किसी भी तरह से इस योजना को लागू कराने का श्रेय नहीं लेने पाए। उम्मीद है कि बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की बैठक में इस पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा।
खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने बताया, ‘ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश से चर्चा कर निर्धारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का नाम बदलकर इंदिराम्मा अन्न योजना करना तय कर लिया गया है।’ जल्द ही इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट को भेज दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सिर्फ योजना का नाम बदला जा रहा है। कानून में किसी तरह का फेरबदल नहीं किया जाएगा। इसके अलावा योजना के प्रचार-प्रसार के लिए एक लोगो बनवाने पर भी विचार किया जा रहा है। थॉमस ने कहा, ‘पांच किलो के पैकेटों में अनाज के वितरण से अन्न की बर्बादी पर अंकुश लग सकेगा। इसके लिए पंजाब, आंध्र प्रदेश सहित अन्य उत्पादक राज्यों से बातचीत की जा रही है।’
कांग्रेस का मानना है कि योजना को इंदिरा गांधी के नाम से जोड़ने पर लोकसभा चुनाव में पार्टी की गरीबोन्मुखी छवि को फायदा मिलेगा। कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी की महत्वाकांक्षी खाद्य गारंटी योजना को इंदिरा गांधी के ‘गरीबी हटाओ’ अभियान का अगला चरण माना जा रहा है। पिछले महीने ही संसद ने देश की 67 फीसद आबादी को छूट पर अनाज मुहैया कराने वाले कानून को पारित किया था। कांग्रेस शासित दिल्ली, उत्ताराखंड, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश ने पहले ही योजना को शुरू कर दिया है, जबकि अन्य राज्य इसकी तैयारी में जुटे हैं। बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में कानून से जुड़े कुछ संशोधन प्रस्तावों पर मंजूरी की उम्मीद है। लेखक ए. सूर्यप्रकाश के अनुसार राष्ट्रीय पार्क, अस्पताल, शोध व वैज्ञानिक संस्थान, उत्सव, सड़कों, भवनों आदि को मिलाकर 450 से ज्यादा योजना-परियोजनाएं गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर हैं।