आशाराम के चलते अब परिवार टूटने की शुरुवात हो गयी है एक महिला को आसाराम बापू की शिष्या होने की सजा भुगतनी पड़ रही है। शादी के बाद बातचीत के दौरान उन्होंने अपने पति को बताया कि वह आसाराम की शिष्या रही हैं और गुरु दीक्षा भी ली हुई हैं। सच बताने पर पति ने उसे स्वीकार नहीं किया और छोड़ दिया। मामला पुलिस के पास पहुंचा, लेकिन पुलिस भी उस शख्स को समझाने में नाकाम रही।
थाना कोतवाली इलाके में रहने वालीं मीतू (बदला हुआ नाम) की शादी मई में थाना कविनगर इलाके में रहने वाले अशोक (बदला हुआ नाम) से हुई थी। पत्नी के मुंह से आसाराम का नाम सुनते ही अशोक का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और वह कमरे से बाहर चले गए। पहले तो मीतू को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन जब उन्होंने मायके में मां को फोन किया, तो पता लगा कि आसाराम का नाम लेने से पति को गुस्सा आया है। उन्होंने अपने पति को बहुत समझाया कि धार्मिक होने और अच्छी बातें सीखने के लिए गुरु दीक्षा ली है। वह चाहें तो इस बारे में पता भी कर सकते हैं, लेकिन पति कुछ भी सुनने के लिए तैयार नहीं।
थक हारकर वह मायके चली गईं और अब अपने मायके में रह रही हैं। इस सदमे में उनकी मां की मौत भी हो चुकी है। मीतू के अनुसार दोनों पक्ष शादी के वक्त खुश थे और आसाराम की बात बताने से पहले विवाद नहीं हुआ था। मीतू और अशोक का मामला पुलिस के परिवार परामर्श केंद्र में पहुंचा। हालांकि, अशोक वहां नहीं आए, परंतु उनके परिवार के अन्य लोग आए। बावजूद इसके उनके बीच का विवाद नहीं सुलझ रहा है। अब दोनों परिवार एक-दूसरे पर विवाह से पहले की जानकारियां छिपाने का आरोप लगा रहे हैं। परामर्श केंद्र के काउंसिलर ने एक बार फिर से दोनों पक्षों को बुलाकर समझाने का फैसला लिया है।