नई दिल्ली। संप्रग-2 की ‘गेम चेंजर’ स्कीमों का आधार बने आधार नंबर कार्ड को सरकार अब कानूनी जामा पहनाएगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को भारतीय विशिष्ट पहचान पत्र प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) विधेयक को फिर से संसद में पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सरकार की कोशिश आगामी शीतकालीन सत्र में यूआइडीएआइ विधेयक को पारित करवाने की होगी। दो वर्ष पहले भी यह विधेयक पेश किया गया था, लेकिन संसदीय समिति ने इसे खारिज कर दिया था।
सरकार ने आधार को वैधानिक दर्जा देने का कदम पिछले दिनों आए सुप्रीम कोर्ट के उस अंतरिम आदेश के बाद उठाया है जिसमें शीर्ष अदालत ने सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने के लिए आधार की अनिवार्यता को खारिज कर दिया था। कैबिनेट की मंजूरी के पहले सरकार ने अंतरिम आदेश पर रोक लगाने के लिए पुनर्विचार याचिका भी दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को राहत देने से इन्कार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि जल्द ही सरकार को अपना पक्ष रखने दिया जाएगा।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि कानून बनने के बाद भी आधार कार्ड बनवाना जनता के लिए अनिवार्य नहीं होगा। हां, अगर विभिन्न मंत्रालय चाहे तो इसे अपनी तरफ से लागू होने वाली योजनाओं के लिए अनिवार्य कर सकते हैं। प्रस्तावित कानून में इसका कोई प्रावधान नहीं होगा। साथ ही आधार कार्ड को किसी भी तरह से राष्ट्रीय पहचान पत्र के तौर पर स्थापित करने की भी कोशिश नहीं होगी। कानून बनने का मतलब सिर्फ यह होगा कि आधार कार्ड जारी करने वाली एजेंसी विशिष्ट पहचान पत्र प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) को कानूनी ढांचा मिल जाएगा। यह सिर्फ सरकार की तरफ से तमाम तरह की सब्सिडी या अन्य स्कीमों के फायदे को सही व्यक्ति तक पहुंचाने का जरिया बना रहेगा। साथ ही नये कानून में आधार संख्या जारी करने में गड़बड़ी करने या इसका गलत तरीके से फायदा उठाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अधिकार भारतीय राष्ट्रीय पहचान पत्र प्राधिकरण को दिया जाएगा।
सूत्रों ने मीडिया में आई इस खबर को बेबुनियाद बताया है कि आधार कार्ड जारी करने पर हजारों करोड़ खर्च हो चुके हैं। सरकार की तरफ से आधार कार्ड जारी करने के लिए कुल 12398.22 करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं, लेकिन अभी तक महज 3490 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके हैं। सरकार का दावा है कि 44 करोड़ लोगों को आधार कार्ड जारी किया जा चुका है। इनमें से तीन करोड़ आधार कार्ड बैंक खातों से जोड़े जा चुके हैं। इससे तीन करोड़ लोगों के खाते में सब्सिडी भी पहुंचना शुरू हो चुकी है।