पटना के गांधी मैदान में रविवार को हुकार रैली के दौरान किए गए धमाके मुजफ्फरनगर दंगे के बदले की कार्रवाई थी।
धमाके को अंजाम देने वाला आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) इसके जरिए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को भी सबक सिखाना चाहता था।
पूरे मामले में इस आतंकी संगठन ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बिहार दौरे के बाद एकाएक सुस्त हुई सुरक्षा व्यवस्था का भरपूर लाभ उठाया। साजिश को अंजाम देने के लिए दर्जनों बम लगा दिए गए।
माना जा रहा है कि इस मामले में राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन कर रही राज्य सरकार यासीन भटकल मामले की तरह ही धमाकों की जांच का जिम्मा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपना चाहती है।
गृह मंत्रालय के अतिविशिष्ट सूत्र के अनुसार आतंकी संगठन आईएम ने मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगे का बदला लेने के साथ ही मोदी को सबक सिखाने के लिए इन धमाकों को अंजाम दिया।
इसके लिए संगठन से जुड़े आतंकवादियों ने सुरक्षा चूक का जमकर लाभ उठाया। सूत्र ने बताया कि राष्ट्रपति के दौरे के कारण पटना की सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी, लेकिन शनिवार को राष्ट्रपति जैसे ही दिल्ली रवाना हुए सुरक्षा व्यवस्था बेहद ढीली हो गई।
खासतौर पर स्थानीय पुलिस ने रैली स्थल की सुरक्षा में रस्म अदायगी की। इसी का फायदा उठा कर आतंकी आनन-फानन में दर्जनों बम विभिन्न जगहों पर लगाने में सफल हो गए। इसके बाद जो हुआ उसे रविवार को पूरे देश ने देखा।
उधर, सुरक्षा व्यवस्था में भारी लापरवाही बरतने वाली राज्य सरकार अब राजनीतिक कारणों से इस मामले की जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपने की तैयारी में जुट गई है। बीते दिनों आतंकी यासीन भटकल की गिरफ्तारी के मामले में भी राज्य सरकार ने जांच का जिम्मा एनआईए को सौंप दिया था।
सूत्रों का कहना है कि दरअसल राज्य सरकार नहीं चाहती कि इस मामले में एक खास वर्ग के युवकों के पकड़े जाने के बाद उसे राजनीतिक नुकसान उठाना पड़े।