यूपीए सरकार ने 2011 में वादा किया था कि देश और विदेश में जमा काले धन का हिसाब डेढ़ साल में लगा लिया जाएगा। लेकिन अभी तक यह काम पूरा नहीं हो सका है।
देश और विदेश में जमा काले धन की मात्रा पर भारी चर्चा के बाद सरकार ने इसका पता लगाने के लिए मार्च, 2011 में एक अध्ययन की शुरु आत करवाई थी। उस दौरान इसे लाखों करोड़ रुपए में बताया जा रहा था।
इस साल जुलाई में यह जानने के लिए एक आरटीआई दाखिल की गई कि सरकार का यह आकलन कहां तक पहुंचा है।
पहले तो यह आरटीआई आवेदन वित्त मंत्रालय के कई विभागों में चक्कर काटता रहा।
फिर अगस्त के आखिरी सप्ताह में जवाब मिला कि विभिन्न संस्थानों की ओर से देश और विदेश में जमा काले धन के आकलन करने के लिए जो प्रक्रिया शुरू की गई थी वह अभी पूरी नहीं हुई है। अभी इस अध्ययन को पूरा होना है।
इस पर और ज्यादा जानकारी नहीं दी जा सकती क्योंकि इसे संविधान के अनुच्छेद 8 (1) (सी) (संसद के विशेषाधिकार की अवमानना) और सूचना के अधिकार कानून की धारा 8(1) (ई) के तहत छूट मिली हुई।
चूंकि यह रिपोर्ट अभी सरकार और संसद की ओर से कार्यवाही करने के लिए रखी जानी है इसलिए इससे जुड़ी जानकारी नहीं दी जा सकती।
वित्त मंत्रालय ने 21 मार्च, 2011 को देश और विदेश में काले धन की मात्रा का पता लगाने के लिए अध्ययन का आदेश दिया था।
इसे दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी), नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) फरीदाबाद ने शुरू किया था।
उस समय मंत्रालय ने कहा था कि इस अध्ययन से काले धन को बढ़ावा देने वाली प्रवृति के बारे में भी पता चल सकेगा।
अलग-अलग गैर अधिकृत अनुमानों के मुताबिक देश और विदेश में भारत का 500 से 1400 अरब डॉलर का काला धन जमा है।
जबकि ग्लोबल फाइनेंशियल इंटग्रिटी का कहना है कि विदेश में भारत का 462 अरब डॉलर का काला धन जमा है।