यहां के स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राएं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार की दी गई साइकिलों की ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।
पिछले दिनों सारण जिले के मजिस्ट्रेट कुंदन कुमार ने छपरा के स्कूल और कॉलेजों के प्रिसिंपल की बैठक बुलाई थी। 50 प्रिसिंपल में से सिर्फ चार ने इन बसों को लेना स्वीकार किया।
इससे पहले सोलह प्रिंसिपल इन बसों को लेने के लिए राजी हुए थे। इसे मिलाकर यह तादाद बीस हो गई है। लालू यादव ने यहां के लिए 70 बसें मुहैया कराई थीं।
सेकेंडरी स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के सेक्रेट्री राजाजी राजेश ने कहा कि चूंकि नीतीश सरकार की मुफ्त साइकिल योजना सफलतापूर्वक चल रही है। इसलिए बसों की कोई जरूरत नहीं है।
इन बसों के रखरखाव का खर्चा स्कूलों को ही देना होगा। इसलिए बसों को लेना एक अतिरिक्त बोझ होगा।
बच्चों के मां-बाप बसों के रखरखाव में आने वाले अतिरिक्त खर्च को साझा करने के लिए तैयार नहीं हैं। बसों के लिए पार्किंग भी दिक्कतें हैं।
गौरतलब है कि नीतीश की मुफ्त साइकिल योजना का असर खत्म करने के लिए आरजेडी कार्यकर्ताओं ने स्टूडेंट्स के लिए बसें लगाने की सलाह दी थी।
इसके बाद लालू यादव ने उनकी बात मानते हुए अप्रैल तक 8.18 करोड़ रुपए की लागत से 70 बसें मुहैया करा दी थीं। लेकिन उनकी यह योजना विद्यार्थियों को रास नहीं आई।