नई दिल्ली। गणपति मूर्ति विसर्जन के दौरान बुधवार को यमुना में डूबे लोगों में से 19 के शव बृहस्पतिवार तक निकाल लिये गए। शवों को तलाशने का सिलसिला कल भी जारी रहेगा। आशंका है कि कुछ और लोगों के शव नदी में होंगे क्योंकि अभी भी कई श्रद्धालु लापता हैं। कल 9 लोगों के डूबने की आशंका जताई गई थी, उनमें से पांच शव कल निकाले जा सके थे। सुबह जब और शवों की तलाश शुरू हुई तो आंकड़ा हैरतअंगेज तरीके से बढ़ता गया।
सूर घाट के पास गोताखोरों ने बृहस्पतिवार को 11 और श्रद्धालुओं के शव निकाले। इसके साथ घाट पर डूबने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ कर 16 हो गई है। सभी श्रद्धालुओं के शवों को पोस्टमार्टम के लिए सब्जी मंडी स्थित मोर्चरी में रखवा दिया गया है। बृहस्पतिवार को दो शवों के पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिए गए। डीसीपी उत्तारी जिला सिंधु पिल्लई के मुताबिक सूर घाट से निकाले गए शवों की पहचान प्रशांत, नितिन, संजीव, राहुल, ज्योति, राजेश, एक अन्य राहुल, गौरव, रिंकू व मुन्ना के रूप में हुई है। अन्य शवों की पहचान अभी नहीं हो पाई है।
निजी गोताखोरों ने निकाले शव
हैरानी की बात यह है कि सभी 16 शवों को वहां घाट पर मौजूद रहने वाले निजी गोताखोरों ने निकाला न कि बाढ़ नियंत्रण विभाग ने। निजी गोताखोरों ने ही अन्य लापता श्रद्धालुओं की खोज में नदी में शवों को तलाश करने का अभियान जारी रखने का निर्णय लिया है।
अब्दुल सत्तार की टीम को सलाम
सूर घाट से निजी गोताखोर अब्दुल सत्तार और उनकी टीम ने सभी लाशों को निकाला है। सत्तार जगतपुर गांव, तिमारपुर के रहने वाले हैं। इनकी टीम में 11 सदस्य हैं। वे सभी जगतपुर व वजीराबाद के रहने वाले हैं। सन् 1997 में भी जब वजीराबाद पुल से स्कूल की बस गहरे पानी में गिरी थी तब अब्दुल सत्तार की टीम ने ही 105 बच्चों को जिंदा बाहर निकाला था। उनके इस जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है।
कुदेसिया घाट से दो व बुराड़ी से एक शव निकाला
उधर कुदेसिया घाट पर भी डूबे दो युवकों सन्नी व भरत तथा बुराड़ी घाट पर डूबे गब्बूराम के शवों को बृहस्पतिवार को बाहर निकाल लिया गया। तीनों बुधवार की शाम यमुना मूर्ति विसर्जन के दौरान डूब गए थे।
मूर्ति विसर्जन के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के डूबने से हुई मौत की घटना ने दिल्ली सरकार, पुलिस-प्रशासन और नगर निगम की पोल खोलकर रख दी है। इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। हद तो यह है कि इतनी मौत होने के बाद भी सरकार एवं नगर निगम की ओर से शवों को निकालने एवं पीड़ित परिजनों को राहत पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।