उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर दंगों पर सफाई देते हुए विश्व हिंदू परिषद समेत हिंदुत्ववादी संगठनों पर राजनीतिक लाभ के लिए प्रदेश का माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया है।
साथ ही प्रदेश सरकार पर जानबूझकर दंगों की अनदेखी करने के आरोपों का जवाब देते हुए अखिलेश ने दावा किया है कि सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बेहद कम समय में स्थिति पर काबू पा लिया।
अखिलेश ने मुस्लिम समुदाय का विश्वास जीतने की पुरजोर कोशिश की। उन्होंने केंद्र सरकार से सच्चर कमेटी की सिफारिशों और मुस्लिम आरक्षण लागू करने की मांग की।
किसी के साथ पक्षपात नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस किसी का हाथ दंगों में पाया जाएगा, उनके खिलाफ बिना किसी पक्षपात के कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मुजफ्फरनगर दंगों की जलती आग के बीच हुई राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के भाषण पर सबकी नजरें रही। उन्होंने विहिप का नाम तो लिया मगर भाजपा का बगैर नाम लिए उस पर जमकर निशाना साधा।
अखिलेश ने शुरुआत में ही कहा कि प्रदेश की 20 करोड़ आबादी में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या 18.5 फीसदी है यानी कि हर पांच में से एक व्यक्ति मुस्लिम समुदाय का है।
कुछ दशकों से प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम चल रहा है। बाबरी मस्जिद प्रकरण को भी राजनीतिक स्वार्थ के लिए सोची समझी साजिश के तहत मूर्त रूप दिया गया था।
गुमराह कर रहे हैं राजनीतिक दल
अखिलेश ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2014 को देखते हुए कुछ राजनीतिक दल जनता को गुमराह कर माहौल बिगाड़ने का खतरनाक प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश की आबादी की ध्रुवीकरण की कोशिश चल रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि 15 जून को शामली में एक लड़की के साथ दुराचार की घटना के संबंध में तुरंत गिरफ्तारी की गई, लेकिन कुछ स्थानीय नेताओं ने घटना को सांप्रदायिक बना दिया।
उन्होंने कहा कि विहिप ने चौरासी कोसी परिक्रमा की यात्रा राजनीतिक लाभ के लिए आयोजित की।
अपनी सरकार के बचाव में अखिलेश ने कहा कि उनकी सरकार ने दंगों को काबू करने के लिए तुरंत कार्रवाई की। भारी संख्या में पुलिस बल और समय पर केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों को भी लगाया गया।
235 लोगों पर गंभीर आरोप
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ निर्वाचित जन प्रतिनिधियों समेत 2,255 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें 235 लोगों पर गंभीर आरोप और 2,020 पर निरोधात्मक धाराओं में गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने बताया कि घटना की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के भूतपूर्व कार्यवाहक जज विष्णु सहाय की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग गठित किया गया है।
अखिलेश ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना बहुत जरूरी है।
मुस्लिम समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को केंद्र सरकार से जल्द लागू करने की मांग की। साथ ही उन्होंने केंद्र से मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण की मांग की।
उन्होंने कहा कि कई जगह मुस्लिम समुदाय की स्थिति अनुसूचित जाति और जनजातियों से भी बदतर है। उन्होंने मुस्लिम वर्ग के लिए चलाई जा रही प्रदेश की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
भड़काऊ सामग्री पर लगे रोक
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों और मोबाइल फोन के जरिए एसएमएस व एमएमएस पर भड़काऊ भाषण या फिर किसी तरह के वीडियो दिखाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार से एक विस्तृत तंत्र बनाने की मांग की है।
राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में अखिलेश ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने में यह कठिनाई महसूस की गई है कि सोशल मीडिया के जरिए जो आपत्तिजनक सामग्री भावनाओं को भड़काने के लिए दिखाई जाती है, उसकी रोकथाम के लिए कोई कारगर व्यवस्था अभी तक नहीं है।
उन्होंने कहा कि भड़काऊ सामग्री ई-मेल या मोबाइल फोन से एसएमएस और एमएमएस की ओर से क्षेत्रों में प्रसारित की जाती है।
उसकी रोकथाम के लिए यह जरूरी है कि इंटरनेट सेवा और मोबाइल फोन कंपनियों दोनों के पास ये क्षमता हो कि वे निर्देश मिलने पर सीमित क्षेत्र विशेष में आपत्तिजनक सामग्री को दिखाने पर रोक लग सके।
साथ ही कंपनियों के पास भी ऐसी तकनीक होनी चाहिए कि वे पता लगा सके कि आखिर किसने भड़काऊ सामग्री भेजी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ऐसी तकनीक कंपनियों के पास नहीं है, तो वे इसे विकसित करें। उन्होंने केंद्र सरकार से भी इस संबंध में बिना देर किए कार्रवाई करने की मांग की।