गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जब भाजपा की ओर से पीएम पद का दावेदार बनाया जा रहा था, तो पार्टी के बाहर और भीतर, दोनों मोर्चों पर इस बात की शंका जताई गई कि इससे भगवा पार्टी के दोस्ट छिटक सकते हैं।
ऐसा हुआ भी। मोदी की ‘ताजपोशी’ से पहले ही बिहार में भाजपा-जनता दल यू की पुरानी यारी टूटी और दोनों अब दुश्मन बन चुके हैं।
लेकिन मोदी राहत की सांस ले सकते हैं। और उन्हें यह मौका मिला है चंद्रबाबू नायडू की वजह से।
वह मोदी के पीएम पद के दावेदार बनने के बाद एनडीए के खेमे में आने वाले पहले नेता बन सकते हैं। अभी तक वह यूपीए को कोसने में वक्त गुजार रहे हैं और एनडीए में शामिल होने की संभावनाओं से इनकार कर रहे हैं।
नायडू बनेंगे एनडीए के संयोजक?
लेकिन फिलहाल उनके एनडीए में शामिल होने की प्रक्रिया तय हो चुकी है और जल्द ही इस सिलसिले में ऐलान हो सकता है। नायडू 2 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाली भाजपा की रैली में मोदी के साथ मंच भी साझा कर सकते हैं।
नायडू को एनडीए का संयोजक भी बनाया जा सकता है। इससे भाजपा को एनडीए को गैर-सांप्रदायिक छवि देने में कुछ आसानी होगी।
नायडू की पार्टी तेलंगाना को जुलाई में अलग राज्य बनाए के फैसले के बाद से कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर रही है।
नायडू का नया दांव
दरअसल, तेलंगाना की वजह से टीआरएस को फायदा होना तय माना जा रहा है और उसके बाद जगनमोहन रेड्डी की रिहाई ने भी आंध्र की राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं।
ऐसे में नायडू के पास अब एनडीए के साथ जाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं दिख रहा। नायडू की टीडीपी युनाइटेड आंध्रा की बात करती है, जबकि भाजपा ने हमेशा तेलंगाना के पक्ष में झंडा उठाया।
लेकिन भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का कहना है कि कांग्रेस ने राज्य को बांटने का फैसला अचानक किया, जिसकी वजह से भाजपा को टीडीपी से सहानुभूति है।