लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन सिपाहियों की पिटाई करने के आरोप में मुरादाबाद के एसएसपी मोदक राजेश डी राव को निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू हो गई है।
उन्होंने पहले पीआरओ को सार्वजनिक रूप से लताड़ा। एक निरीक्षक को भी बुरा-भला कहा। इसके बाद एसएसपी ने फालोअर सुंदर सिंह, गुमान सिंह व दया किशन डंगवाल को डंडों व वाइपर से जमकर पीटा। घटना दिन भर दबी रही। शाम को तीनों सिपाही डीआइजी अमरेंद्र सेंगर से मिले और घटनाक्रम की जानकारी दी।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि जानकारी मिलने पर सरकार ने एसएसपी को मातहतों के साथ अमानवीय व्यवहार करने के आरोप में निलंबित कर दिया है। मामले में आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर एफआइआर दर्ज कराने की मांग की है।
फालोअरों की कहानी उन्हीं की जुबानी
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। एसएसपी जैसे महत्वूपर्ण पद पर रहते हुए भी राजेश मोदक ने अनुशासनहीनता की सारी हदें पार कर दीं। तभी तो तीनों फालोअरों पर शनिवार को वे इस कदर टूट पड़े कि उनको संभलने का मौका तक नहीं मिला। दहशत इतनी कि एसएसपी की दरिंदगी की कहानी सुनाते-सुनाते तीनों रो पड़े।
अल्मोड़ा के कौसानी निवासी फालोअर सुंदर सिंह 12 सालों से नौकरी कर रहे हैं। कहते हैं कि कभी इतना गंदा बर्ताव किसी अधिकारी का नहीं रहा। दिन का समय था, साहब बाथरूम में थे। अचानक बाहर निकले और चीखते हुए वाइपर उठा लिया, ताबड़तोड़ वार करते चले गए। इस बीच कई बार गलती मानी, लेकिन एसएसपी सुनने को कतई तैयार नहीं थे।
वहीं अल्मोड़ा के हड़ोली निवासी दूसरे फालोअर दया किशन डंगवाल ने बताया कि वह 24 साल से नौकरी कर रहे हैं। शनिवार को साहब पहले पीआरओ और टेलीफोन ड्यूटी पर बरस पड़े, उसके बाद हम तीनों के साथ निर्ममता से मारपीट की। घटना के समय मैं साहब का बच्चा खिला रहा था। अचानक हुए हमले से संभल नहीं पाया। पीटने के बाद साहब अंदर चले गए।
तीसरा फालोअर गुमान सिंह सबसे ज्यादा दहशत में हैं। गुमान ने बताया वह रसोई में थे, अचानक साहब को गुस्सा आ गया और उन्होंने सबकी पिटाई कर दी। इस तरह बेरहमी से पिटाई कभी नहीं देखी। इससे पहले भी साहब गाली गलौज से बातचीत करते थे। बंगले पर चेतराम, गोपाल सिंह, वेद प्रकाश और राजेंद्र के अलावा दो मालियों की तैनाती भी बंगले के काम के लिए की गई है। इन पर भी गुस्सा उतरता रहता है।
सात घंटे तक बंधक रहे
शनिवार देर रात तीनों फालोअर मेडिकल कराने के बाद अपने घर आ गए। रविवार सुबह ही बंगले से गाड़ी आई और उन्हें लेकर चली गई। बंगले में एसपी ग्रामीण ने पूछताछ की और उसके बाद पुलिस लाइन में अधिकारी के बंगले में बंधक बनाकर रखा गया। इस दौरान मान मनौव्वल की गई।
समझौते का दबाव बनाया गया। ठंडा, गर्म, ऊंच नीच समझाई गई। एसपी ग्रामीण ने तीनों से अलग-अलग बातचीत की। जब तक तीनों कुछ समझने को तैयार होते, उससे पहले ही एसएसपी के निलंबन की खबर आ गई।