कई मुस्लिम मित्रों को यह गलतफहमी है कि इस्लाम में महिलाओं को पूरी इज्जत और बराबरी दी जाती है, जितनी और किसी धर्म में नहीं दी जाती। इस बात के खोखलेपन की असलियत सभी जानते हैं, लेकिन कोई स्वीकार नहीं करता। परन्तु किसी न किसी रूप में सच सामने आ ही जाता है। अभी हाल ही में दैनिक भास्कर समाचार पत्र में एक लम्बी रिपोर्ट निकली है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि सऊदी अरब में महिलाओं की स्थिति नरक से भी बदतर है।
यह सऊदी अरब घोषित रूप में इस्लामी देश है और मक्का-मदीना आदि मुसलमानों के सभी प्रमुख तीर्थ वहीं स्थित हैं। हज करने के लिए दुनियाभर के मुसलमान वहीं जाते हैं। वहाँ इस्लामी शरियत के अनुसार ही शासन चलाया जाता है, इसलिए कोई यह नहीं कह सकता कि उस देश में जो हो रहा है, वह इस्लाम के अनुसार नहीं है। यदि कोई ऐसा कहता है तो वह दूसरों के साथ-साथ स्वयं को भी धोखा दे रहा है। जो लोग उस समाचार को पूरा पढने का कष्ट नहीं उठाना चाहते, उनके लिए उसकी मुख्य-मुख्य बातें मैं यहाँ लिख रहा हूँ।
1. रूढ़िवादी सऊदी अरब में महिला का अपना कोई जीवन नहीं होता। कानूनी रूप बालिग होने के बावजूद भी महिलाओं का कोई अस्तित्व नहीं है। सऊदी में प्रत्येक महिला का पुरुष अभिभावक होना चाहिए।
2. किसी भी सऊदी महिला को पढ़ाई, काम, यात्रा, शादी और यहां तक चिकित्सीय जांच के लिए भी पुरुषों से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है।
3. इसके अलावा बिना किसी भी पुरुष अभिभावक वे केस फाइल नहीं कर सकती और न्याय की बात तो भूल ही जाइए।
4. अभी भी यहां सिर्फ 10 साल की उम्र में बच्चियों की शादी करा देने और बलात्कार पर बेवकूफी भरा कानून अस्तित्व में हैं। इनके विरुद्ध कोई सुनवाई कहीं नहीं होती.
5. यहां लड़कियों को बालिग होने से पहले ही शादी करा दी जाती है और उन्हें हिजाब में रहना पड़ता है। बावजूद इसके यहां रेप की संख्या सबसे ज्यादा है। इसका जिम्मेदार बलात्कार के कानून को माना जाता है। बलात्कार के लिए किसी आरोपी को तब तक सजा नहीं दी जा सकती जब तक उसके चार प्रत्यक्षदर्शी न हों।
6. सऊदी सरकार महिलाओं की नौकरी की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। पीएचडी डिग्री वाली महिलाएं भी बेरोजगार हैं। दरअसल, सऊदी अरब में पुरुष साथी के साथ काम करने, साक्षात्कारों से बचने के लिए महिलाओं को नौकरी नहीं दी जाती है।
7. सऊदी अरब में महिलाओं के कार चलाने पर पाबंदी है। कई बार पुलिस महिलाओं को गाड़ी चलाते हुए रोक लेती है और उनसे शपथ पत्र लिखवाती हैं कि वह कभी गाड़ी नहीं चलाएंगी। कई बार उन्हें कोड़े मारने की सजा भी दी जाती है।
8. सऊदी लड़कियों को खेलों में भाग लेने और जिम जाने देने की इजाजत नहीं है।
विजय कुमार सिंघल का विश्लेषण.