बेंगलूर। विशेषज्ञों की राष्ट्रीय समिति ने भारत के साढ़े चार अरब रुपये की लागत वाले महत्वाकांक्षी मंगल अभियान को मंजूरी दे दी है। समिति की मंजूरी के बाद अब अगले महीने 28 अक्टूबर को मार्स ऑर्बिट मिशन (एमओएम) अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण निश्चित किया गया है। पहले इसके लिए 21 अक्टूबर का दिन नियत किया गया था। विशेषज्ञ समिति ने इसे एक सप्ताह आगे बढ़ा दिया।
विशेषज्ञों ने व्यापक विचार विमर्श के बाद मिशन को हरी झंडी दी। इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की ओर से अभियान के संबंध में व्यापक ब्यौरा पेश करने के बाद विशेषज्ञों की समिति ने गत बृहस्पतिवार और शुक्रवार को इसपर गहन विचार विमर्श किया। इस अभियान के प्रारंभिक उद्देश्य मंगल ग्रह की कक्षा में उपग्रह भेजने की भारतीय प्रौद्योगिकी क्षमता का प्रदर्शन, लाल ग्रह पर जीवन की संभावनाएं तलाशना, ग्रह के फोटो लेना, उसके वातावरण का अध्ययन करना है। समिति के पैनल में इसरो के पूर्व अध्यक्ष यूआर राव, जाने माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक रोद्दाम नरसिम्हा और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बेंगलूर के प्रोफेसर शामिल थे।
इसरो के एक अधिकारी ने कहा, अगर मौसम ठीक रहा तो प्रक्षेपण 28 अक्टूबर को दोपहर में होगा। करीब 150 करोड़ रुपये की लागत से बने एमओएम अंतरिक्ष यान की अभी इसरो के उपग्रह समन्वय एवं प्रशिक्षण संस्थान में जांच की जा रही है। 26 सितंबर की समीक्षा के बाद इसे 30 सितंबर तक श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र में भेजा जाएगा। 1350 किलो वजनी एमओएम को 110 करोड़ रुपये की लागत वाले पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल से प्रक्षेपित किया जाएगा। रॉकेट को दस अक्टूबर तक यान से जोड़ दिया जाएगा। इसके अलावा यान से पांच अन्य उपकरण भी जुड़े होंगे, जो मंगल ग्रह की सतह, वायुमंडल और खनिजों का अध्ययन करेंगे। पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने के बाद अंतरिक्ष यान करीब दस महीने तक अंतरिक्ष में रहेगा और सितंबर, 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करेगा।