नई दिल्ली। अगले आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने एक बड़ा राजनीतिक दांव चलते हुए बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड समेत दस राज्यों को विशेष वित्तीय मदद मुहैया कराने का रास्ता साफ कर दिया है। पिछड़े राज्यों की नई परिभाषा तय करने के लिए गठित रघुराम राजन समिति ने इन्हें सबसे पिछड़े राज्यों की श्रेणी में रखने की सिफारिश की है। समिति के इस फैसले से इन राज्यों को केंद्र से भारी-भरकर वित्तीय मदद का रास्ता साफ हो गया है, जो अभी तक सिर्फ विशेष दर्जे वाले प्रदेशों को मिलती थी। गुरुवार को रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक की है। समिति ने देश के 28 राज्यों का एक सूचकांक तैयार किया है। यह सूचकांक राज्यों की वित्तीय जरूरत और विकास के लिए राज्य सरकार की तरफ से उठाए जा रहे कदमों के संयुक्त पैमाने पर तैयार किया गया है। समिति ने ओड़िशा, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित दस राज्यों को सबसे पिछड़े राज्यों की श्रेणी में रखा है। इन राज्यों अब विशेष दर्जे के तहत मिलने वाली सभी केंद्रीय सुविधाएं व वित्तीय मदद दी जाएंगी। दूसरे शब्दों में कहें तो अब जबकि चुनाव सिर पर है, केंद्र सरकार इन राज्यों के लिए खजाने का बड़ा मुंह खोल सकती है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बताया कि राजन समिति ने विकास के आधार पर देश के 28 राज्यों को तीन श्रेणियों में बांटने की सिफारिश की है। इसके आधार पर सबसे पिछड़े राज्यों के वर्ग में 10 राज्यों को रखा गया है जबकि कम विकसित राज्यों की श्रेणी में 11 राज्य रखे गये हैं। अपेक्षाकृत तौर पर विकसित राज्यों की श्रेणी में 10 राज्य हैं। इस श्रेणी के मुताबिक देश का सबसे विकसित राज्य गोवा है जबकि सबसे पिछड़ा राज्य उड़ीसा को माना गया है। फिलहाल इस रिपोर्ट पर सभी मंत्रालयों, विभागों, योजना आयोग और राज्यों से विचार विमर्श किया जाएगा। चुनावी दांव सनद रहे कि इस वर्ष की शुरुआत में सरकार ने पिछड़े राज्यों की परिभाषा नए सिरे से तय करने का फैसला किया था। तब से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर दबाव बनाए हुए थे। नीतीश कुमार के साथ नजदीकी बढ़ाने के उद्देश्य से ही कांग्रेस ने विशेष दर्जे के राज्यों की नई परिभाषा तय करवाई थी। यही नहीं संप्रग को उत्तर प्रदेश, ओड़िशा, मध्य प्रदेश में भी इससे फायदा होने की उम्मीद है। यह भी उल्लेखनीय होगा कि सबसे पिछड़े श्रेणी में शामिल सभी 10 राज्यों में लोकसभा की 238 सीटें हैं। कैसे तय हुई परिभाषा राजन समिति ने हर राज्य में प्रति व्यक्ति खपत, शिशु मृत्यु दर, महिला साक्षरता, गरीबी स्तर, आबादी में अनुसूचित जाति व जनजाति की हिस्सेदारी, बैंकिंग सेवा व शिक्षा स्तर, राज्य में ढांचागत सुविधाओं की स्थिति सहित कुछ अन्य मुद्दों को आधार बनाकर राज्यवार सूचकांक तैयार किया। समिति ने कहा है कि इस सूचकांक के आधार पर राज्यों को विशेष फंड देने का फार्मूला आसान हो जाएगा और इसको लेकर होने वाले विवादों का भी पटाक्षेप हो जाएगा। सबसे पिछड़े राज्य 1. ओड़िशा 2. बिहार 3. मध्य प्रदेश 4. छत्तीसगढ़ 5. झारखंड 6. अरुणाचल प्रदेश 7. असम 8. मेघालय 9. उत्तर प्रदेश 10. राजस्थान कम विकसित राज्य 11. मणिपुर 12. पश्चिम बंगाल 13. नागालैंड 14. आंध्र प्रदेश 15. जम्मू-कश्मीर 16. मिजोरम 17. गुजरात 18. त्रिपुरा 19. कर्नाटक 20. सिक्कम 21. हिमाचल प्रदेश अपेक्षाकृत विकसित राज्य 22. हरियाणा 23. उत्तराखंड 24. पंजाब 25. महाराष्ट्र 26. तमिलनाडु 27. केरल 28. गोवा पांच सिफारिशें 1. नए फ्रेमवर्क पर राज्यों को विकास फंड बांटे केंद्र 2. सबसे पिछड़े राज्यों की सूची में प्रदर्शन के आधार पर होता रहे बदलाव 3. सूचकांक और धन आवंटन के तरीके में दस वर्षो में हो बदलाव 4. सबसे पिछड़े राज्यों की स्थिति सुधारने के लिए केंद्र अतिरिक्त धन मुहैया कराए 5. राज्यों को धन आवंटन करने के अन्य फार्मूले भी रहेंगे जारी
NCR Khabar News Desk
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