राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक के दौरान नई दिल्ली में सोमवार को गर्मजोशी से भरी नीतीश-आडवाणी की मुलाकात से बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
एनडीए गठबंधन से जदयू के बाहर होने के बाद पहली बार मिले दोनों दलों के दिग्गजों की इस मुलाकात को जहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने ‘मैच फिक्सिंग’ करार दिया, वहीं दूसरी तरफ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने इस मुलाकात का आम शिष्टाचार कहते हुए बचाव किया।
दोनों नेताओं की मुलाकात के फुटेज न्यूज चैनलों पर प्रसारित होते ही राजद ने बिना मौका गवाएं हुए इसे ‘मैच फिक्सिंग’ करार दिया।
नालंदा में राजद महासचिव रामकृपाल यादव ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम शुरूआत से कहते आए हैं कि नीतीश कुमार के नरेंद्र मोदी वाली भाजपा से कड़वे रिश्ते हैं लेकिन आडवाणी वाली भाजपा के साथ वह अभी भी हैं।
यह मुलाकात इस बात के काफी संकेत देते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में सेक्युलर वोटों को पाने के लिए जदयू और भाजपा ने ‘मैच फिक्सिंग’ की हुई है।
आडवाणी नीतीश के गुरू रह चुके हैं। ऐसे में नीतीश उनसे कैसे दूर जा सकते हैं। दोनों दलों का अलग होना महज एक ड्रामा है।
वहीं नीतीश कुमार और आडवाणी की मुलाकात का बचाव करते हुए जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि आडवाणी से उनकी यह मुलाकात एक सामान्य शिष्टाचार है।
इस तरह की बातों से लोकतंत्र को मजबूती मिलती है। आडवाणी जी काफी अनुभव रखने वाले राजनीतिज्ञों में से एक हैं। अलग अलग पार्टी होने के बावजूद अगर कोई एक दूसरे से मिलता है तो इसमें क्या नुकसान है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष तो हर बात को राजनीतिक रंग देने पर तुला रहता है।
सिंह ने यह भी जोड़ा कि विचारधारा में मतभेदों के कारण ही 17 वर्ष बाद जदयू और भाजपा अलग हुए हैं। अलग होने का निर्णय पार्टी की विचारधारा के चलते ही अलग होने का आखिरी फैसला लिया गया।
दोनों नेताओं की सामान्य शिष्टाचार मुलाकात पर राजनीतिक बयानबाजी की कोई अहमियत नही है।