सालों से राजधानी के ब्रह्मावाला खाले की बस्ती में रह रहे लोगों के होश वसूली नोटिस को देखकर फाख्ता हो गए।
सोमवार को लोग एक-दूसरे को व्यथा बताने पहुंचे तो पता चला सभी घरों में ऐसे नोटिस आए हैं। किसी को 12 तो किसी को 15 लाख रुपए जमा करने के लिए कहा गया है। घबराए लोग नगर निगम पहुंचे और एमएनए अशोक कुमार का घेराव कर दिया। पता चला कि नोटिस जिला प्रशासन ने भेजे हैं तो वे लौट गए।
नसबंदी के बाद मिली जमीन
सहस्त्रधारा रोड स्थित ब्रह्मावाला खाले में वर्षों से लोग सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर घर बनाए रह रहे हैं। यहां कई पक्के निर्माण भी किए जा चुके हैं। नगर निगम लगभग हर साल यहां अभियान चलाता है। इस दौरान कई निर्माण ध्वस्त भी किए जाते हैं, जबकि कई के चालान किए गए।
बस्ती के लोग दावा करते हैं कि ग्राम समाज की जमीन उन्हें नसबंदी कार्यक्रम के तहत दी गई थी। लेकिन जमीन नगर निगम के खाते में जाने के बाद उन्हें बेदखल किया जा रहा है। हालांकि, नगर निगम इन आरोपों को नकारता है।
इसलिए भेजा नोटिस
यह मामला सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चल रह है। कोर्ट ने कुछ दिन पहले कब्जों को अवैध बताया था। इसके बाद प्रशासन ने सोमवार को पब्लिक प्रापर्टी (पीपी) एक्ट के तहत नोटिस भेज दिया।
बता दें कि पीपी एक्ट के तहत कोई व्यक्ति सरकारी जमीन पर जितने वर्षों से काबिज हो, उसे उस अवधि का जुर्माना देना पड़ता है। खास बात यह है कि नगर निगम के अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान कई लोगों ने खुद को वर्षों से यहां रहना बताया। उनके इसी बयान को आधार बनाकर प्रशासन ने उन्हें कब्जाधारी मानकर नोटिस भेजा।
..तो छोड़ना ही होगा कब्जा
सूत्रों की मानें तो सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन की ओर से जारी नोटिस में जुर्माने की जो रकम तय की गई है, वह बस्ती के लोग किसी भी सूरत में दे नहीं सकेंगे। हालांकि, जुर्माना जमा करने के लिए कुछ दिन का वक्त दिया गया है, लेकिन ऐसा न करने पर संबंधित व्यक्ति को कोर्ट सजा दे सकता है। ऐसे में लोगों के सामने कब्जे छोड़ने का ही विकल्प बच जाएगा।