दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों समेत साकेत कोर्ट भी वसंत विहार गैंगरेप मामले की तफ्तीश करने वाले स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) के कार्य प्रणाली की तारीफ कर चुकी है।
लेकिन एसआईटी के एक पुलिस अधिकारी ने खुलासा किया है कि, तफ्तीश के दौरान बढ़िया जांच करने के अलावा हालातों से लड़ने की भी चुनौती थी और हकीकत ये भी है कि, जांच के दौरान नृशंस घटनाक्रम पाकर कई बार जांच में जुटे पुलिस अधिकारियों की आंखें छलक जाती थीं।
जांच के दौरान कांप गई थीं, अधिकारी की रूह
एसआईटी के एक अधिकारी ने खुलासा किया कि, सूचना पाकर पुलिस अधिकारी जब सफदरजंग अस्पताल पहुंचे तो पीड़ित छात्रा की हालत देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए थे।
उस समय दक्षिण जिले की डीसीपी रहीं छाया शर्मा की भी यही स्थिति थी। वह दो दिन बाद ही नार्मल हो पाई थीं। छात्रा की हालत को देखकर सभी पुलिस अधिकारी सहम गए थे।
इसलिए उन्होंने ठान लिया था कि, आरोपियों को जल्द पकड़कर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएंगे। डीसीपी छाया शर्मा ने तुरंत एसआईटी का गठन कर दिया और वह खुद उसकी हेड थीं।
एसआईटी में एडिशनल डीसीपी प्रमोद कुशवाह, एसीपी रमेश चंद्र और वेनिता, एसटीएफ प्रभारी इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह, लीगल सेल प्रभारी विजय सिंह, वसंत विहार थानाध्यक्ष अनिल शर्मा व जांच अधिकारी रामसहाय, वसंत कुंज (साउथ) के जांच इंस्पेक्टर नीरज चौधरी, स्पेशल स्टाफ इंस्पेक्टर जसमोहिंदर चौधरी, तत्कालीन कोटला मुबारक थानाध्यक्ष नरेश सोलंकी और महरौली थानाध्यक्ष अतुल कुमार, एसआई प्रतिभा व गजेंद्र आदि शामिल थे।
एसआईटी के एक अधिकारी ने बताया कि, पुलिसकर्मियों की आंखों में दूसरी बार आंसू तब आए जब पीड़ित छात्रा के दोस्त ने टीवी पर साक्षात्कार दिया था।
वसंत विहार गैंगरेप के बाद गृहमंत्रालय की ओर से तीन आयोग बनाए गए थे। एसआईटी के सदस्यों का कहना है कि दिन भर वे मामले की जांच करते थे और शाम को आयोगों के सामने जवाब देने जाते थे।
आयोगों के सवालों का जवाब देते देते पुलिस अधिकारी कई बार बहुत ज्यादा परेशान हो जाते थे और आंखों से आंसू छलक जाते थे।