ढुलाई घोटाले का नुकसान वसूलने में जुटा रेलवे

19_09_2013-goodstrainनई दिल्ली -लौह अयस्क की ढुलाई में मालभाड़े की चोरी करने वाली स्टील कंपनियों से रेलवे पूरा बकाया वसूलेगी। इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने घोटाले में शामिल एस्सार स्टील, रश्मि मेटालिक्स समेत सभी 17 कंपनियों को वसूली के नोटिस जारी किए हैं। हालांकि, रेलवे 17 हजार करोड़ रुपये के नुकसान के कैग के अंतरिम आकलन से सहमत नहीं है। उसके मुताबिक घोटाले से उसे चार साल में पेनाल्टी समेत लगभग 2000 करोड़ रुपये की चपत ही लगी है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार लौह अयस्क का खनन और निर्यात करने वाली एस्सार स्टील, रश्मि मेटालिक्स जैसी सत्रह प्रमुख स्टील कंपनियों ने रेलवे को 2008-09 से 2011-12 के दौरान 17 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया है। ऐसा इन कंपनियों ने मालभाड़े की चोरी कर किया। इन्होंने निर्यात वाले लौह अयस्क की ढुलाई के लिए रेलवे को निर्यात दरों के बजाय घरेलू मालभाड़ा अदा कीं। रेलवे बोर्ड मालभाड़े की चोरी की बात तो मानता है, लेकिन 17 हजार करोड़ रुपये के नुकसान के कैग के आकलन से सहमत नहीं है। रेलवे बोर्ड के एक उच्च अधिकारी के मुताबिक घोटाले को खुद रेलवे ने पकड़ा था और केंद्रीय सतर्कता आयोग से शिकायत की थी। उसने इसकी जांच सीबीआइ को सौंप दी है।

चार सालों में इन कंपनियों ने निर्यात भाड़े के बजाय घरेलू भाड़ा अदा कर लगभग 300 करोड़ रुपये की चपत लगाई है जो जुर्माना लगाने के बाद करीब 2000 करोड़ रुपये बैठती है। रेल मंत्रालय ने 2008 में लौह अयस्क/पेलेट्स की ढुलाई के लिए दोहरी मालभाड़ा नीति लागू की थी। इसके तहत घरेलू उपयोग और निर्यात के लिए ढोए जाने वाले अयस्क/पेलेट्स के लिए अलग-अलग मालभाड़ा तय किया गया था। निर्यात वाले लौह अयस्क की दरें घरेलू उपयोग वाले अयस्क के मुकाबले चार गुना ज्यादा है।

इस बीच, रेलवे ने कंपनियों को नोटिस जारी करने के साथ ही इनके अयस्क की ढुलाई पर भी रोक लगा दी है। इसके बाद एस्सार स्टील ने पेनाल्टी समेत 89 करोड़ रुपये का बकाया भाड़ा अदा करने का वादा किया है। वहीं, नोटिस मिलने के बाद रश्मि मेटालिक्स अदालत चली गई है। कंपनी पर 132 करोड़ रुपये की मालभाड़ा चोरी का आरोप है। रेलवे ने इस पर 528 करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगाई है जिसे मिलाकर इस पर कुल 660 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। कई अन्य कंपनियों ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया है।