बाड़मेर, इसे हाल के दिनों में रुपये की स्थिति में सुधार का असर कहें या चुनावी मौसम के आगाज का। कारण जो भी रहा हो, केंद्र सरकार ने डीजल की कीमतों में एकमुश्त बड़ी वृद्धि करने की योजना पर फिलहाल गंभीरता से पुनर्विचार करना शुरू कर दिया है। दो हफ्ते पहले तक डीजल कीमत में बड़ी वृद्धि करने की तरफदारी कर रहे पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली ने अब इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। इस बारे में पूछे जाने पर उनका टका सा जवाब था कि तेल कंपनियों को अभी डीजल के दाम सिर्फ 50 पैसे ही बढ़ाने की छूट मिलेगी।
मोइली रविवार को यहां राजस्थान की पहली तेल रिफाइनरी के शिलान्यास समारोह में हिस्सा लेने आए थे। सरकारी नवरत्न तेल कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) 37 हजार करोड़ रुपये की लागत से पचपदरा (बाड़मेर) में 90 लाख टन सालाना क्षमता की रिफाइनरी लगा रही है। मोइली ने संवाददाताओं को बताया कि डीजल कीमत बढ़ाने को लेकर सरकार किसी जल्दबाजी में नहीं है। पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पिछले दस दिनों के भीतर रुपये की कीमत में काफी सुधार होने की वजह से ही मंत्रालय ने फिलहाल कुछ और इंतजार करने का फैसला किया है।
एक डॉलर की कीमत जब 69 रुपये के करीब पहुंच गई थी तब तेल कंपनियों को डीजल पर 14.50 रुपये प्रति लीटर का घाटा होने लगा था। चालू वित्त वर्ष के दौरान तेल कंपनियों को सिर्फ डीजल से अंडररिकवरी (लागत मूल्य से कम कीमत पर बेचने से होने वाला संभावित घाटा) 80 हजार करोड़ रुपये होने की आशंका जताई जा रही है। इस वजह से ही मोइली ने डीजल को एकमुश्त तीन से पांच रुपये प्रति लीटर महंगा करने का प्रस्ताव किया था। अब रुपया अगले कुछ दिनों में किस करवट बैठेगा इसे देख कर ही सरकार फैसला करेगी। वैसे अगले हफ्ते 30 सितंबर को पेट्रोल की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद है। रुपये के मजबूत होने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड) की कीमतें भी कम हुई हैं। इस वजह से तेल कंपनियां लोगों को राहत देंगी।