नोएडा। अब गांवों में बने घरों को भी शहर जैसी पहचान मिल सकेगी। प्राधिकरण ने गली और घरों के नंबर दर्ज करने की योजना बनाई है। इसके लिए एजेंसी के चयन का काम शुरू हो चुका है।
नोएडा के अधीन कुल 81 गांव हैं जिनमें से 64 की जमीन पूरी तरह से अधिग्रहीत हो चुकी है। कुछ गांवों में आंशिक तो कुछ गांव सिर्फ अधिसूचित किए गए हैं। इन गांवों का कुल क्षेत्रफल करीब 1200 हेक्टेयर बताया जा रहा है। इन सभी गांवों में विकास कार्य का जिम्मा नोएडा प्राधिकरण का है। अब तक यहां के किसी भी गांव में बने घरों का कोई टाइटल नहीं है, न ही किसी गली मोहल्ले का कोई नाम दर्ज है। इससे न तो घर की पहचान हो पाती है और न ही गली-मोहल्ले की। शहर के बीच होने के बावजूद गांव के पते पर बैंक से कर्ज नहीं मिल पाता। गांव का सटीक पता न होने से पत्राचार में भी दिक्कत आती है। बैंक का खाता खुलवाना हो या फिर गैस का कनेक्शन लेना हो, परेशानी उठानी पड़ती है। इन गांवों में कहां क्या है, इसका कोई मैप प्राधिकरण के पास भी नहीं है।
प्राधिकरण ने अब इसकी पहल की है। इन गांवों का मैप तैयार होगा जिसमें गांवों के हर घर, गली, मोहल्ला, बारातघर, धार्मिक स्थल, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल आदि का विवरण होगा। मौके पर भी घरों और गलियों का नंबर लिखा जाएगा जिससे इन्हें पहचान मिलेगी। प्राधिकरण इस काम के लिए एजेंसी चुनेगा। इस कार्य के लिए हर गांव पर एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है। फिलहाल, प्राधिकरण ने एक एजेंसी को किसी एक गांव का विवरण तैयार करके दिखाने को कहा है। उससे संतुष्ट होने के बाद इसी तरह का विवरण बाकी गांवों का भी तैयार कराया जाएगा।
प्राधिकरण का यह कदम सराहनीय है। लंबे समय से लोग इसकी मांग करते आ रहे हैं। ग्रामीणों के घरों को पहचान मिलेगी। अभी कर्ज के लिए जाने पर बैंक कह देते हैं कि नक्शे में इस मकान का कोई जिक्र नहीं है, टाइटल मिलने के बाद बैंक यह नहीं कह सकेंगे। आगंतुकों के लिए गांवों का पता खोजना आसान हो जाएगा।
– नरेश यादव, ग्राम प्रधान, सोरखा
अभी गांवों का कोई मैप नहीं है। कहां पर क्या है, कुछ पता नहीं चल पाता। मैप बनने से घरों और मोहल्लों को टाइटल मिलेगा। लोगों को काफी सुविधा हो जाएगी। इस पर काम चल रहा है।
– विजय यादव, डीसीईओ, नोएडा प्राधिकरण