लखनऊ – बढ़े समर्थन मूल्य के बावजूद किसान गन्ने की खेती से मोहभंग हो रहा है। इसका असर है कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना गन्ना बुआई का रकबा आठ फीसद घटा है जो प्रदेश के चीनी उद्योग के लिए खतरे की घंटी है। अगले वर्ष अधिक नुकसान की आशंका है। सरकार की चीनी नीति पर सवाल उठ रहे हैं।
चीनी उद्योग को प्रोत्साहित करने में जुटी सरकार के लिए हाल के सर्वेक्षण आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इस वर्ष 93973 हेक्टेयर कम भूमि में किसानों ने पौध गन्ना [नया] बुआई किया। कुल क्षेत्र में भी 2.6 फीसद की कमी है। गन्ना उत्पादक 44 जिलों में से केवल संभल, एटा, सुलतानपुर,बलिया, सिद्धार्थनगर, देवरिया, महराजगंज और मऊ में ही रकबा बढ़ा है, शेष में गिरावट आई है। चीनी का कटोरा माने जाने वाले मेरठ, सहारनपुर, बरेली परिक्षेत्र के किसान अब गन्ने को फायदे का सौदा नहीं मान रहे। इस बार दस बीघा भूमि में गन्ने के बदले धान बुआई करने वाले बिजनौर जिले के जगमोहन सिंह का कहना है, गन्ना बेचने के बाद समय से भुगतान न मिलना सबसे बड़ा सिरदर्द है।
श्रमिकों की कमी भी बड़ी वजह :
गन्ना विशेषज्ञ डा. एसके सिंह गन्ने की खेती में मशीनों का उपयोग कम हो पाने से चिंतित हैं। उनका कहना है कि गन्ने में श्रमिकों का सहारा लेना पड़ता है। मनरेगा के चलते खेतिहर मजदूर कम होते जा रहे हैं।
गन्ना मूल्य भुगतान लटकना :
कोल्हू और क्रेशर बंद होते जाने से किसान गन्ना बेचने को चीनी मिलों पर आश्रित हैं। मिल प्रबंधकों की मनमानी किसी से छिपी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी इस पेराई सत्र का 2496 करोड़ से ज्यादा रुपये मिलों पर बकाया हैं। सरकार का भी रवैया मिल मालिकों के प्रति नरम होने से गन्ना उत्पादकों में हताशा बढ़ी है।
इनका कहना है :
नए गन्ने की बुआई में कमी अधिक नहीं है। बेहतर मानसून के चलते उत्पादकता में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। फिर भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
[राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग]गन्ना क्षेत्रफल कम होने से अधिक फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि चीनी मिलों की आपूर्ति के लिए गन्ने की पर्याप्त उपलब्धता रहेगी। समर्थन मूल्य अधिक होने से किसान अब मिलों में गन्ना डालता है।
[दीपक गुप्तारा, सचिव, उप्र चीनी मिल एसोसिएशन]चीनी मिलों की दबंगई और सरकार की लचर नीतियों से किसानों का गन्ना बुआई से मोह भंग होने लगा है। आने वाले दिनों में स्थिति और विकट होगी।
[बीएम सिंह, पूर्व विधायक]