यमुना एक्सप्रेसवे का जीरो प्वाइंट खतरनाक हो गया है।
हवा से बातें करते हुए वाहन जब जीरो प्वाइंट पर पहुंचते हैं तो इस यू टर्न पर नियंत्रण नहीं रहता और हादसा हो जाता है। बुधवार की घटना में जीरो प्वाइंट की रेलिंग पर झूलते वाहन के टायरों के निशान काफी कुछ बयां करते हैं।
जीरो प्वाइंट पर हादसों पर अंकुश कैसे लगे, इस पर पेश है मनोज कुमार और फोटोग्राफर हिमांशु सोनी की यह रिपोर्ट:
आगरा से ग्रेटर नोएडा परीचौक की ओर मुड़ते हुए यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो प्वाइंट पर बुधवार को पहला हादसा नहीं हुआ है।
पहले भी हो चुके हैं हादसे
इससे पहले भी कई हादसे हो चुके हैं और तीन-चार फीट की रेलिंग पर गाडिय़ों के निशान आसानी से देखे जा सकते हैं।
जीरो प्वाइंट पर आए दिन होने वाले हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जेपी ग्रुप ने भी जो उपाय किए हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं।
दरअसल, आगरा से ग्रेटर नोएडा की ओर आते समय यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो प्वाइंट पर दो रास्ते बंटते हैं।
एक रास्ता नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे से नोएडा की ओर चला जाता है, जबकि दूसरा रास्ता गोलचक्कर वाया एक्सप्रेस-वे परी चौक की ओर आता है।
परी चौक को आने वाले रास्ते में जबरदस्त यू टर्न है, वहीं लोग चकरा जाते हैं।
आगरा से तेज रफ्तार में वाहन आता है और यू टर्न पर गति पर नियंत्रित नहीं कर पाता, जिसमें कई बार गाड़ी रेलिंग पर चढ़ जाती है। चार फीट तक की रेलिंग पर ऊपर तक गाडिय़ों के टायर के निशान बने हुए हैं।
उपाय नाकाफी
जेपी ग्रुप ने जीरो प्वाइंट के कुछ पहले 30 किलोमीटर की रफ्तार का बोर्ड लगाया है। एक जगह बैरिकेडिंग भी है, लेकिन इस पर वाहन चालक ध्यान नहीं देते और तेज रफ्तार से निकल जाते हैं।
ऐसे आएगी हादसों में कमी
–यमुना एक्सप्रेसवे जीरो प्वाइंट से करीब दो किलोमीटर पहले रिफ्लेक्टर और धीमे वाहन चलाने के संकेतक बनाने चाहिए।
–एक्सप्रेसवे पर यू टर्न से कुछ पहले गति अवरोधक लगाने चाहिए। जिससे वाहनों की रफ्तार कम हो सके।
पिछले दिनों हुए हादसेः-
–3 सितंबर को जीरो प्वाइंट पर मारुति जेन भिड़ी, तीन घायल।
–7 सितंबर को सफारी कार जीरो प्वाइंट पर टकराई, सात जख्मी।
–11 सितंबर को होंडा सिटी असंतुलित होकर जीरो प्वाइंट पर क्षतिग्रस्त।
–15 सितंबर को बाइक सवार इसी जगह पर घायल हो गए।
–18 सितंबर को स्कॉर्पियो जीरो प्वाइंट पर क्षतिग्रस्त, एक की मौत चार घायल।