कहां गई गिनीज बुक और कहां गए टोपी-बुर्के

भोपाल में भाजपा के कार्यकर्ता महाकुंभ में जोर-शोर से किए जाने वाले कई दावे झूठे साबित हो गए।

दिन में मंच से घोषणा कर दी गई कि सभा में उपस्थिति प्रमाणित करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के लोगों को बुलाया गया है। बाद में इस घोषणा की कोई पुष्टि नहीं हो सकी।

सूत्रों के मुताबिक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के लिए एक माह पहले आवेदन करना पड़ता है और एक निश्चित धनराशि भी जमा करनी पड़ती है।

न ही प्रदेश इकाई ने कोई आवेदन किया था और न ही धनराशि जमा की गई थी। बाद में गिनीज बुक की ओर से ऐसे कोई लोग नहीं पाए गए।

तादाद के मामले में भी जो सात लाख कार्यकर्ता आने के दावे किए जा रहे थे, वे गलत साबित हुए।

पहले कहा जा रहा था कि करीब सात लाख कार्यकर्ता आएंगे। जिनमें प्रदेश के 53,714 पोलिंग बूथ से आने वाले कार्यकर्ता शामिल होंगे।

शाम को मुश्किल से ढाई-तीन लाख लोगों के आने की बात की जा रही थी।

कांग्रेस के प्रवक्ता अभय दुबे ने दावा किया कि सरकारी कर्मचारियों को लोगों को लाने का टारगेट दिया गया था। सरकारी तंत्र के जरिए जुटाए गए लोग भाजपा के कार्यकर्ता नहीं थे।

प्रदेश में सोयाबीन के सीजन को देखते हुए किसानों और मजदूरों को लाना असंभव काम था।

मुसलमानों की तादाद के बारे में भी जो दावे किए जा रहे थे, उन पर भी सवालिया निशान है।

भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के हिदायतुल्ला शेख ने कहा कि उनका जो अनुमान था उसी हिसाब से कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया है।

अकेले भोपाल से 5,000 मुस्लिम कार्यकर्ता आने का दावा शेख कर रहे हैं, लेकिन वहां मुसलमानों की बहुत कम तादाद नजर आ रही थी।

यह अनुमान था कि टोपी और बुर्के पर उठे विवाद के बाद मुसलमान इस रैली से किनारा कर सकते हैं।