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अब पूर्वी यूपी को सांप्रदायिक आग में झुलसाने की कोशिश

मुजफ्फरनगर और आस पास के इलाकों में दंगों और सांप्रदायिक तनाव से जूझ रही उत्तर प्रदेश सरकार के लिए एक और चिंतजनक सूचना है कि उपद्रवी तत्व अब पूर्वी उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव फैला कर हवा में नफरत घोलने की कोशिश कर सकते हैं।

यह जानकारी केंद्रीय खुफिया सूत्रों ने केंद्र सरकार को दी है। खुफिया रिपोर्टों में कहा गया है कि अगर समाजवादी पार्टी और बसपा ने समय रहते अपने अपने मूल जनाधार को नहीं संभाला तो उनकी हालत भी राष्ट्रीय लोकदल जैसी हो सकती है।

क्योंकि कुछ ताकतों की कोशिश सपा, बसपा के मूल जनाधार वर्गों के साथ मुस्लिमों का वैसा ही तनाव पैदा करने की है जैसा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के मूल जनाधार और मुसलमानों के बीच हो गया है।

हाल ही में सरकार को केंद्रीय खुफिया एजेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक जिन ताकतों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामाजिक सद्भाव का वातावरण बिगाड़ा, अब उनकी नजर राज्य के पूर्वी जिलों के उन इलाकों पर लगी है।

जहां मुस्लिम आबादी की खासी संख्या है और इलाके की दबंग हिंदू जातियों के साथ उनका मुकाबला पहले भी होता रहा है। इस नजरिये से खुफिया सूत्रों ने सबसे ज्यादा संवेदनशील जिलों में आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, भदोही, गोरखपुर जिलों के नाम लिए हैं।

यह जानकारी देने वाले सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा तराई के बहराइच और लखीमपुर खीरी जैसे जिले भी संवेदनशील हैं। सूत्रों के मुताबिक पूर्वी उत्तर प्रदेश के अपराधी और माफिया गिरोहों को भी सांप्रदायिक आधार पर राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है।

कई साल पहले भी पूर्वी उत्तर प्रदेश के गिरोह संघर्ष में भाजपा विधायक कृष्‍णानंद राय की हत्या को भी सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हुई थी। मायावती सरकार के समय हुए मऊ के दंगों के पीछे भी पूर्वांचल के एक बाहुबली विधायक पर उंगली उठी थी।

पिछले दो साल से पूर्वी उत्तर प्रदेश, तराई और मध्य उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव की कई छिटपुट घटनाएं हो चुकी हैं और उनकी वजह से सामाजिक वातावरण गरम भी है।

मुजफ्फरनगर के दंगों को लेकर इन इलाकों में कई तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है। इनकी वजह से हिंदू और मुसलमान दोनों ही समुदायों में गलतफहमी पैदा हो रही है।

खुफिया एजेंसियों ने आगाह किया है कि वक्त रहते अगर इन्हें दूर नहीं किया गया तो कोई भी स्थानीय घटना सांप्रदायिक रूप ले सकती है, जिसका नुकसान सामाजिक सद्भाव के वातावरण को हो सकता है।

NCR Khabar News Desk

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