यूपीए सरकार का महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक आज भारी हंगामे के बीच लोकसभा में पेश कर दिया गया।
पाकिस्तान के मसले पर रक्षा मंत्री के बयान को लेकर हंगामे और नारेबाजी के बीच दोपहर लगभग तीन बजे खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने सदन में खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश किया।
इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने व्हिप जारी कर बिल पेश किए जाने के दौरान अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा था।
केन्द्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री के वी थॉमस ने सदन में यह विधेयक पेश करते हुये कहा कि इस विधेयक से न तो संघीय ढांचे का और न ही राज्यों के अधिकारों का हनन होगा।
वहीं, तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके के एम थम्बी दुरै ने इस विधेयक का विरोध किया।
थम्बी दुरै ने विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि इस विधेयक को लेकर कई आशंकाएं हैं। अगर यह पारित होता है तो तमिलनाडु और उन राज्यों को नुकसान झेलना पड़ेगा जहां पहले ही खाद्य सुरक्षा की व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कारण तमिलनाडु को अतिरिक्त खर्च करना होगा। सरकार इस विधेयक पर पुनर्विचार करते हुयए दूसरा विधेयक लाए।
सरकार का दावा है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक लागू होने के बाद देश की दो तिहाई से अधिक आबादी को सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध हो सकेगा। सरकार इसके लिए पहले ही खाद्य सुरक्षा अध्यादेश जारी कर चुकी है।
खाद्य सुरक्षा से ज्यादा जरूरी सीमा सुरक्षा
लोकसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने पांच भारतीय जवानों की हत्या के मामले में रक्षा मंत्री से अपने बयान को लेकर माफी मांगने के लिए कहा।
साथ ही उन्होंने कहा कि वह खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सीमा सुरक्षा की भी बात कर रही हैं। खाद्य सुरक्षा जितनी जरूरी है उससे ज्यादा जरूरी है सीमा सुरक्षा।
खाद्य सुरक्षा बिल पर अब लोकसभा में अगले हफ्ते चर्चा होगी।