दिल्ली तख्त के लिए सियासी जंग की तैयारी कर रही भाजपा के चुनावी ‘वार रूम’ का खाका तैयार हो चुका है। इस बार यह वार रूम किसी नेता के घर की बजाए पार्टी मुख्यालय में ही बनेगा।
इस चुनावी महाभारत के सेनापति के तौर पर आगे कर दिये गये नरेंद्र मोदी ही वार रूम के मुख्य कमांडर होंगे।
भाजपा की कोशिश है कि अशोक रोड स्थित पार्टी मुख्यालय में बनने जा रहा यह वार रूम 15 अगस्त के बाद काम करने लगे। इसकी तर्ज पर सभी राज्यों में भी वार रूम बनेंगे।
प्रदेशों में बनने वाले ये सभी वार रूम 24 घंटे इस केंद्रीय वार रूम से जुड़े रहेंगे। वार रूम मोदी और राजनाथ सिंह के सीधे नियत्रण में रहेगा। संचालन के लिए भी अलग टीम बनाई जाएगी।
चुनाव प्रबंधन के लगभग सभी काम यहीं से होंगे। सिर्फ सोशल मीडिया इससे अलग रहेगा। वार रूम के पास लोकसभा की सभी 543 संसदीय सीटों को लेकर पूरी जानकारी व मतदाताओं से संबंधित आर्थिक, सामाजिक आंकड़े मौजूद रहेंगे।
चुनाव के दौरान राज्यों को कानूनी मदद देने के लिए भी वार रूम तैयार रहेगा। बड़े नेताओं के चुनावी दौरे व इनके लिए हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर समेत सभी परिवहन की व्यवस्था भी यहीं से होगी।
भाजपा सितंबर के अंतिम सप्ताह अथवा अक्टूबर से चुनाव प्रचार में जुट जाएगी। शुरू में यह वार रूम पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए भी काम करेगा।
पिछले चुनावों में भाजपा के वार रूम
भाजपा ने 2009 के चुनाव में अनंत कुमार के दिल्ली स्थिति सरकारी आवास पर वार रूम बनाया था, तब भाजपा के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ही थे, लेकिन वाररूम की पूरी कमान लालकृष्ण आडवाणी के पास थी, वे तब एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे।
इससे पहले 2004 के चुनाव का वार रूम प्रमोद महाजन के सरकारी आवास पर बना। खास बात यह है कि भाजपा यह दोनों ही चुनाव हार गई।
जबकि इससे पहले 1998 और 1999 के वार रूम भाजपा मुख्यालय में बनाए गये और भाजपा दोनों ही चुनाव जीत गई। इस मिथ को ध्यान में रखकर ही भाजपा इस बार पार्टी मुख्यालय में वार रूम बनाने जा रही है।