नई दिल्ली।। बीजेपी के कुछ नेताओं द्वारा यौन शोषण के आरोप का सामना कर रहे आसाराम बापू का बचाव करने से नरेंद्र मोदी खफा हैं। बीजेपी की कैंपेन कमिटी के चेयरमैन मोदी ने इस बारे में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से बात की है। मोदी ने उनसे कहा कि वह सभी प्रवक्ताओं और नेताओं को हिदायत दी जाए कि कोई भी आसाराम बापू का बचाव न करे।
मोदी ने इस मामले में पार्टी नेताओं के लिए लक्ष्मण रेखा भी खींच दी है कि कोई भी पार्टी लाइन से इतर बयान नहीं देगा। इस मामले पर पार्टी का स्टैंड यह है कि अभी जांच चल रही है और कानून अपना काम करेगा। मोदी ने चेताया है कि किसी भी नेता या प्रवक्ता के बयान से ऐसा नहीं लगना चाहिए कि बीजेपी आसाराम बापू का पक्ष ले रही है।
मोदी का यह फरमान मध्य प्रदेश से पार्टी के राज्यसभा के सांसद प्रभात झा के बयान के बाद आया है। प्रभात झा ने 27 अगस्त को आसाराम पर लगे यौन शोषण के आरोप को कांग्रेस की सोची समझी साजिश करार दिया था। इससे पहले 22 अगस्त को बीजेपी की सीनियर नेता उमा भारती ने भी आसाराम के बचाव में बयान दिया था। उमा ने ट्वीट किया था, ‘आसाराम बापू बेकसूर हैं। सोनिया और राहुल गांधी का विरोध करने के चलते उन्हें फंसाया जा रहा है। कांग्रेस शासित राज्यों में उनके खिलाफ झूठे केस दर्ज कराए जा रहे हैं। हम आसाराम बापू के साथ हैं।’
यह बयान देने वक्त उमा भारती शायद नहीं जानती थीं या फिर उन्हें ध्यान नहीं रहा कि आसाराम के खिलाफ तीन बड़े मामले गुजरात में ही दर्ज हैं। अहमदाबाद में आश्रम के रेजिडेंशल स्कूल में दो नाबालिग बच्चों की रहस्यमयी मौत के मामले में अप्रैल 2008 में केस दर्ज हुआ था। गुजरात की सीआईडी ने इस मामले में आश्रम के सात पदाधिकारियों को आरोप बनाया है।
इसके अलावा, दिसंबर 2009 में हत्या की कोशिश का मामला भी अहमदाबाद आश्रम के खिलाफ दर्ज है। 2010 में जमीन से जुड़ा एक केस भी आसाराम बापू पर दर्ज हुआ था। आसाराम पर आरोप था कि उन्होंने गुजरात सरकार की 67, 099 स्क्वेयर मीटर जमीन पर कब्जा जमा लिया था, जिसे बाद में अतिक्रमण मुक्त कराया गया। मोदी सामान्य तौर पर आसाराम से दूरी ही बनाए रहते हैं ताकि गुजरात सरकार पर कोई सवाल न उठे। मोदी की इस बेरुखी से आसाराम भी उनसे नाराज रहते हैं।
मोदी को पार्टी की छवि की चिंता है और वह नहीं चाहते हैं कि पार्टी लगातार विवादों में रहने वाले आसाराम के साथ खड़ी दिखे। कुछ नेताओं की बयानबाजी की वजह से कांग्रेस और जेडी(यू) इस मामले में पहले ही बीजेपी को को कठघरे में खड़ा कर चुकी है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज जब संसद में मुंबई रेप केस में आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग कर रही थीं तो जेडी(यू) नेता शरद यादव ने उन्हें बीच में टोका और कहा कि उन्हें आसाराम पर लगे आरोपों के बारे में भी बात करनी चाहिए। इसके बाद सुषमा स्वराज ने चुप्पी साध ली थी।
हमेशा बीजेपी पर वार करने का मौका तलाशने वाले दिग्विजय सिंह ने भी 28 अगस्त को ट्वीट करते हुए कहा, ‘महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर बीजेपी का दोहरा चरित्र सबके सामने है। औरों के लिए मौत की सजा की मांग और नकली संत (आसाराम) के लिए क्षमादान!’