मुस्लिम पर्सनल लॉ में 15 साल की लड़की को अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करने की अनुमति है। इस तर्क के आधार पर दिल्ली की एक अदालत ने एक युवक को दुष्कर्म और बंधक बनाने के आरोपों से बरी कर दिया।
रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ईला रावत ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि पीड़िता और आरोपी दोनों ही मुस्लिम समुदाय से हैं। हालांकि भारतीय दंड संहिता समेत ज्यादातर कानूनों में पीड़िता को नाबालिग माना जा सकता है, लेकिन मुस्लिम लॉ में 15 साल की होने के बाद उसे अपनी मर्जी से शादी करने की अनुमति है।
मामला अमन विहार इलाके का है। पीड़िता और उसकी मां ने 18 अप्रैल 2012 को आरोपी पर दुष्कर्म व बंधक बनाने का मुकदमा दर्ज करवाया था।
हालांकि, सुनवाई के दौरान पीड़िता ने कहा कि आरोपी उसकी मां के साथ काम करता था और वह उसके घर आता जाता था। वह आरोपी से प्रेम करती थी और उससे शादी करना चाहती थी, लेकिन उसकी मां इसके खिलाफ थी।
पीड़िता ने पुलिस में शिकायत देकर उसकी शादी आरोपी के साथ कराने की मांग भी की थी। जब आरोपी की मां शादी के लिए तैयार हो गई तो दोनों ने शादी कर ली।