नई दिल्ली।। देश की अर्थव्यवस्था नाजुक हालत में पहुंच चुकी है। करंट अकाउंट डेफिसिट देश के लिए बड़ा संकट बन सकता है। फूड सिक्यॉरिटी बिल की वजह से लोकसभा चुनाव से पहले सरकारी खर्च बढ़ने के चलते देश की रेटिंग घटने की पूरी आशंका है। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 67.98 के स्तर पर चला गया। रुपया दुनिया में सबसे खराब परफॉर्म करने वाली करंसियों में शामिल हो गई है। सरकार खुलकर नहीं बोल रही है लेकिन इशारों-इशारों में संकेत देने लगी है कि स्थिति उसके काबू में नहीं है। वाणिज्य मंत्री आनंद कुमार शर्मा ने मंगलवार को कहा कि हमारे पास 31,000 टन सोना है। अगर हम 500 टन सोने को गिरवी रखते हैं तो करंट अकाउंट घाटे का निपटारा हो सकता है। हालांकि, उन्होंने इसे अपना सुझाव करार दिया। उन्होंने कहा कि सोना गिरवी रखने का फैसला मैं नहीं ले सकता।
आनंद शर्मा के बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि देश 1991 की तरह आर्थिक बदहाल के दौर में पहुंच चुका है। सरकार के बढ़ते खर्चे और करंट अकाउंट डेफिसिट ने एक बार फिर सोना गिरवी रखने के हालात पैदा कर दिए हैं। हालांकि, कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि अभी ऐसे हालात नहीं हैं कि सोना गिरवी रखना पड़े। उन्होंने कहा था कि सरकार के पास 6 अभी महीने का विदेशी मुद्रा भंडार है।
आनंद शर्मा ने मंगलवार को कहा, ‘क्या हम कुछ कर सकते हैं, का सवाल नहीं है। मेरा मानना है कि नई सोच लाने की जरूरत है। पर, यह आरबीआई और वित्त वित्त मंत्रालय को सोचना है कि ऐसी परिस्थिति के समाधान के लिए क्या किया जाए।’ गौरतलब है कि खराब आर्थिक हालात के कारण सरकार को 1991 में सोना गिरवी रखने की नौबत आई थी, जिसके बाद सरकार ने उदारीकरण की नीति अपनाई थी।
शर्मा का यह बयान तब आया जब मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपये मे रेकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई। एक डॉलर की कीमत 66 रुपये के पार चली गई है। मंगलवार को शेयर बाजार में भी भारी गिवारट दर्ज की गई। सेंसेक्स 590 पॉइंट गिरकर बंद हुआ था। सोने की मांग में भारी बढ़त देखने को मिली। 10 ग्राम सोना की कीमत करीब 33,000 रुपये तक पहुंच गया।
फूड सिक्यॉरिटी बिल के जरिए सरकार 67 फीसदी लोगों को सस्ता अनाज देना चाहती है। मार्केट को इससे खजाने की हालत और बिगड़ने का डर है। इनवेस्टर्स पहले से ही कंपनियों के कम प्रॉफिट और बढ़ते लोन से घबराए हुए हैं। फूड सिक्यॉरिटी बिल को सोमवार को लोकसभा ने पास किया था। इससे सरकार पर 1,21,723-2,41,263 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ सकता है।