लुभावने सपने दिखा समय पर घर तैयार करने का आश्वासन देकर ग्राहकों को सालों तक भटकाने वाले रियल एस्टेट डेवलपरों पर कानूनी नकेल कसने के लिए सरकार ने रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) बिल को राज्य सभा में पेश कर दिया है।
इस क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाने और तमाम सुधारों को लेकर बुधवार को आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री गिरिजा व्यास ने राज्यसभा में यह विधेयक पेश किया।
नए बिल के मुताबिक घर बनाने के नाम पर ग्राहकों से बड़ी रकम उगाही कर अब उसे शेयर बाजार या दूसरी जगहों पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। क्योंकि ग्राहकों से ली गई रकम को एक बैंक खाता खोलकर उसमें जमा करने का प्रस्ताव किया गया है।
तो दूसरी ओर अगर कोई रियल एस्टेट कंपनी ठेके का अनुपालन नहीं करती है तो उस पर भारी भरकम जुर्माना और उसके संचालकों को अधिकतम तीन साल तक की सजा भी हो सकती है।
यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई डेवलपर सभी प्राधिकरणों से हरी झंडी मिलने के बाद ही प्रोजेक्ट को लांच कर सकेगा। यही नहीं कुछ ऐसे प्रावधान भी किए गए हैं जिससे रियल एस्टेट कंपनियां ग्राहकों को भ्रमित करने वाले विज्ञापनों को पेश नहीं कर सकेंगी।
अगर कोई कंपनी पहली दफा ऐसी करती है तो उसे परियोजना की कुल लागत का 10 फीसदी तक जुर्माना देना पड़ सकता है। इसके बाद डेवलपर को जेल तक जाने की नौबत आ सकती है।
डेवलपरों को कारपेट एरिया के बारे में सही तरीके से ग्राहकों को समझाना होगा। जबकि सुपर एरिया का उल्लेख कर फ्लैट या घर की बिक्री पर रोक लगाई जाएगी।
हालांकि रियल एस्टेट कंपनियां इस विधेयक के मौजूदा स्वरूप का विरोध कर रहा है। लेकिन नया बिल इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ सालों में डेवलपरों के जरिए समय पर परियोजना पूरी नहीं करने से संबंधित शिकायतें बढ़ी हैं।
इस लेटलतीफी को दूर करने के लिए अब तक कोई विकल्प नहीं था। लेकिन अब नए कानून से ऐसे मामलों की संख्या काफी कम हो जाएगी।
बिल में डेवलपरों के हित में यह प्रावधान किया गया है कि यदि खरीददार भुगतान करने से चूक जाता है तो उसे उच्च ब्याज दर का भुगतान करना होगा।