कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अब देश की जाति व्यवस्था पर खुलकर बोलते हुए समाजवादी पार्टी और बसपा सुप्रीमो मायावती पर निशाना साधा है।
दलितों के कल्याण की बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि उनके परिवार में जाति की बात नहीं होती थी और वह खुद जाति में यकीन नहीं करते।
साथ ही उन्होंने अपने पिता राजीव गांधी, दादी इंदिरा गांधी और परदादा जवाहर लाल नेहरू को याद करते हुए कहा कि वे लोग कभी जाति की बात नहीं करते थे। उनके लिए सब एक जैसे थे। सबकी क्षमता एक जैसी थी।
राहुल ने मायावती पर सीधा हमला करते हुए कहा कि बसपा प्रमुख ने अपने अलावा दूसरे किसी दलित नेता को उभरने का मौका नहीं दिया है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति सम्मेलन में राहुल ने को कहा कि वह जाति में यकीन नहीं करते। मेरी सोच है कि व्यक्ति एक होते हैं। मेरे परिवार में जाति की बात होती ही नहीं थी।
उन्होंने कहा कि पार्टी में उनकी आवाज एकजुट होकर नहीं आती बल्कि एक-एक करके आती है। वह चाहते हैं कि उनकी बात व्यक्ति के तौर पर न आए बल्कि एक समुदाय के तौर पर सामने आए।
इससे आपके समुदाय के लोगों को फायदा होगा। 20-25 साल पहले दलित वर्ग कांग्रेस का जबरदस्त समर्थन करता था। दलित कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी होती था।
राहुल ने कांग्रेस नेताओं को आह्वान करते हुए कहा कि फिर से कांग्रेस दलितों की रीढ़ की हड्डी बने, तो इससे बेहतर कुछ नहीं होगा। इसके लिए उन्हें नहीं बल्कि हमें बदलना है।
राहुल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अगर अभी पांच दलित नेताओं के नाम पूछे जाए तो सिर्फ मायावती के अलावा और कोई नाम नहीं पुकारा जाएगा।
राहुल ने राय दी कि उत्तर प्रदेश समेत सभी राज्यों में हर गांव और शहरों में सभी स्तर पर नेताओं की एक कतार होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश की यात्राओं के अनुभव बांटते हुए कहा कि वहां दलितों के साथ भेदभाव हुआ है।
उनका कहना था कि जब वह मायावती सरकार के समय उत्तर प्रदेश गए तो स्कूलों में शिक्षकों से पूछते थे कि उनके स्कूल में टॉपर कौन है। सबसे कमजोर छात्र कौन है। 90 फीसदी स्कूलों में दलित बच्चा कभी आगे की कतार में बैठा नहीं दिखा।
राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस में ही सिर्फ 100 लोग, भाजपा में 70-80, बीएसपी में एक व्यक्ति, सपा में तीन और बीजेडी में दो लोग टिकट तय करते हैं। यानी 500 लोग देश के राजनीतिक भविष्य का फैसला लेते हैं।