कुंडा के सीओ जिया उल हक की हत्याकांड में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के हाथ होने के सबूत नहीं मिले हैं। सीबीआई ने राजा भैया को क्लीन चिट दे दी है।
सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसी इस हत्याकांड में राजा भैया का हाथ होने के पर्याप्त सबूत नहीं जुटा पाई है। लाई डिटेक्टर टेस्ट में भी उनके बयानों में गड़बड़ियां नहीं पाई गईं हैं।
सबूतों के अभाव में राजा भैया पर पर मुकदमा चलाना मुश्किल है, इसलिए जांच एजेंसी ने क्लीन चिट दे दिया। अन्य आरोपियों गुड्डू, रोहित सिंह, हरिओम श्रीवास्तव और गुलशन यादव को भी क्लीन चिट मिल गई है।
अब सीबीआई इस मामले मे उनकी पत्नी परवीन आजाद द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर और पुलिस की एफआईआर को एक ही में शामिल कर सकती है।
परवीन ने अपनी एफआईआर में राजा भैया पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था।
‘दुर्भावना से लिखाई गई रिपोर्ट’
राजा भैया ने एक निजी समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि वह इस फैसले से बेहद खुश हैं, हालांकि उन्हें भरोसा था कि रिपोर्ट में उन्हें क्लीन चिट मिल जाएगी।
अपने कुछ अन्य सहयोगियों के मसले पर राजा भैया ने कहा कि रिपोर्ट सिर्फ दुर्भावना के चलते लिखाई गई थी। इसमें किसी का कोई हाथ नहीं था।
सपा से फिर उम्मीद
राजा भैया ने कहा कि उन्होंने सपा की छवि खराब न होने देने के लिए ही पद से इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा कि वह समाजवादी पार्टी, अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव से जुड़े रहेंगे।
कुछ लोग यह भी संभावना जता रहे हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले मंत्रिपरिषद बदलाव में राजा भैया को शामिल कर लिया जाएगा।
गौरतलब है कि कुंडा कांड में कुल चार मुकदमे दाखिल किए गए थे, जिनमें से एक मामले पर सीबीआई पहले ही क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है। इस मामले में करीब दर्जन भर लोग गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं।