पाकिस्तान में लीक हुई एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक़ ‘ढुलमुल रवैए और लापरवाही के कारण ही अल क़ायदा के नेता ओसामा बिन लादेन एक दशक तक देश में रहने में कामयाब रहे थे’।
अल जज़ीरा को लीक हुई रिपोर्ट के इस संस्करण में कहा गया है कि लादेन का अमेरिकी सुरक्षा बलों के हाथों मारा जाना एक ‘हत्या’ थी, जिसका आदेश अमेरिकी राष्ट्रपति ने दिया था।
रिपोर्ट में साथ ही 2001 में अफ़ग़ानिस्तान से भागने के बाद अल क़ायदा के नेता के ठिकानों और दैनिक गतिविधियों की भी जानकारी दी गई है।
लादेन मई 2011 में पाकिस्तान के ऐबटाबाद में अमेरिकी सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए थे।
लादेन के पाकिस्तान में छिपे होने के अमेरिका के संदेह को पाकिस्तान ने ख़ारिज कर दिया था लेकिन लादेन की ऐबटाबाद में मौजूदगी और फिर नेवी सील के अभियान में उनकी मौत से अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में खटास आ गई थी।
इस लीक पर टिप्पणी करते हुए आयोग के प्रमुख जावेद इक़बाल ने पाकिस्तानी दुनिया टीवी से कहा कि ये कपोल कल्पना पर आधारित है और इसमें आयोग की 100 से अधिक सिफारिशों में से एक का भी ज़िक्र नहीं है।
आयोग
लादेन के ख़िलाफ़ ऑपरेशन के तुरंत बाद पाकिस्तानी संसद ने इस मामले की जांच के लिए एक स्वतंत्र आयोग गठित करने की मांग की थी ताकि ये पता लगाया जा सके कि ये सरकार की नाकामी थी या फिर अल क़ायदा के साथ साठगांठ का नतीजा।
आयोग को साथ ही ये ज़िम्मा भी सौंपा गया कि वो इस बात की भी जाँच करे कि पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसियाँ अपनी ज़मीन पर सीआईए की गतिविधियों का पता लगाने में क्यों नाकाम रही?
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘इस पूरे मामले में पाकिस्तानी जनता को अपमान सहना पड़ा जबकि इसे टाला जा सकता था’।
लीक हुए दस्तावेज़ों में पाकिस्तानी सरकार और सेना की कड़ी आलोचना की गई है और कहा गया है कि इस मामले में ‘सरकार में हर स्तर पर घोर लापरवाही और अयोग्यता’ देखने को मिली है।
आयोग ने कहा है कि उसे साठगांठ के आरोपों को साबित करने के कोई सबूत तो नहीं मिले लेकिन उसने सरकार के अंदर या बाहर किसी तरह की ‘मिलीभगत से इनकार नहीं’ किया है।
कार्रवाई
रिपोर्ट में ऐबटाबाद कार्रवाई के लिए नेवी सील की भी कड़ी आलोचना की गई है और इसे अमेरिका की तरफ़ से ‘युद्ध की कार्रवाई’ बताया। आयोग ने कहा कि 1971 में पाकिस्तान के टूटने के बाद से ये ‘देश के लिए सबसे शर्मनाक घटना’ थी।
रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों ने लादेन के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने आए अमेरिकी हेलिकॉप्टरों को मारकर गिराने की कोशिश की लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
336 पन्नों की इस रिपोर्ट में 200 से ज़्यादा गवाहों और सऊदी अरब जाने से पहले लादेन की तीन बीवियों के बयान दर्ज किए गए हैं। गवाहों में सरकारी और सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं।
बीबीसी संवाददाता रिचर्ड गैल्पिन का कहना है कि पिछले छह महीने से भी अधिक समय से ये रिपोर्ट सरकार के पास है लेकिन इसे ठंडे बस्ते में रखा गया है।
अल जज़ीरा को लीक हुए संस्करण में लादेन के 2001 में अफ़ग़ानिस्तान से भागने के बाद के दैनिक जीवन की भी जानकारी दी गई है।
ठिकाने
रिपोर्ट में मुताबिक़ लादेन 2002 की गर्मियों में पाकिस्तान पहुँचे थे और 2005 में ऐबटाबाद में बसने से पहले दक्षिण वज़ीरिस्तान, बाजौड़, पेशावर, स्वात और हरिपुर में रहे थे।
रिपोर्ट में लादेन और उनकी यात्रा के संदर्भ में लिखा गया है, “लादेन परिवार चमक दमक से दूर रहे और उन्होंने कम पैसों में गुज़ारा किया। उन्होंने कभी अवाम से घुलने-मिलने की कोशिश नहीं की।”
लादेन की विधवाओं के बयान के मुताबिक़ लादेन जब ऐबटाबाद में अपने परिसर में निकलते थे तो वह ख़ुफ़िया एजेंसियों की नज़रों से बचने के लिए हैट पहनते थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि छह साल तक ख़ुफ़िया एजेंसियाँ लादेन के परिसर की असामान्य प्रकृति को नहीं भाँप सकीं।