आपदा की घड़ी में तीर्थ यात्रियों व फंसे लोगों के लिए फरिश्ते बने केदारघाटी के गांवों के ग्रामीण ही अब भुखमरी की कगार पर आ गए हैं। स्थिति यह है कि इन ग्रामीणों के घरों में अब राशन के नाम पर कुछ नहीं बचा हुआ है। ग्रामीण शासन-प्रशासन की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं, कि कब उनके गांव तक रसद व अन्य राहत सामग्री पहुंचेगी।
मुसीबत के समय फंसे तीर्थ यात्रियों के लिए जिंदगी का सहारा बने तोषी (त्रियुगीनारायण), सीतापुर व गौरीकुंड गांव के लोग आज दाने-दाने के लिए मोहताज बने हुए हैं। सरकारी राहत की बाट जोहते इन ग्रामीणों का धैर्य भी अब धीरे-धीरे जबाव देने लगा है।
जिसके चलते कई लोग गांव छोड़कर श्रीनगर या अन्यत्र अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए है। गांव में बचे लोग सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं। वहीं विद्युत, पेयजल व अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं भी ठप होने से इन ग्रामीणों का जीना दूभर बना हुआ है।
रुद्रप्रयाग पहुंचे तोषी निवासी मानवेंद्र गैरोला, गौरीकुंड निवासी राकेश गोस्वामी, कैलाश गोस्वामी, सतेंद्र सिंह, त्रियुगीनारायण निवासी भूपेंद्र सिंह व सीतापुर निवासी किशन चौहान ने बताया कि आपदा के तीन सप्ताह बाद भी शासन-प्रशासन द्वारा क्षेत्र की कोई सुध नहीं ली गई है।
केवल हवाई दौरे कर प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री कर दी है। जबकि वर्तमान में क्षेत्र में खाद्यान्न संकट बना हुआ है। यातायात, संचार, विद्युत व पेयजल आपूर्ति ठप होने से ग्रामीण विकट परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं।