सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने 1,448 जन प्रतिनिधियों के भविष्य पर तलवार लटका दी है। इनमें से 162 सांसद हैं तो 1,286 विधायक।
खास बात यह है कि आपराधिक मामलों में अगर अदालत ने सजा सुनाई तो कई बड़ी राजनीतिक हस्तियों के राजनीतिक कैरियर पर विराम लग सकता है।
इस समय भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, बसपा प्रमुख मायावती, पूर्व भाजपा नेता येदियुरप्पा, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगनमोहन रेड्डी, अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता, कांग्रेस नेता सुरेश कलमाडी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण सहित कई नामचीन राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ विभिन्न अदालतों में मामले लंबित हैं।
इसके अलावा आपराधिक मामला झेल रहे नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है, जिनके भविष्य पर इस फैसले से प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
जहां तक भाजपा की बात है तो बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, कल्याण सिंह सहित कई अन्य नेताओं के खिलाफ मामला अदालत में लंबित है।
इसके अलावा भ्रष्टाचार के मामले में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण, पूर्व मंत्री दिलीप सिंह जूदेव सहित दर्जन भर नेता अलग से घिरेंगे। फर्जी मुठभेड़ मामले में पार्टी महासचिव अमित शाह भी इस फैसले की जद में शामिल हो सकते हैं।
फैसले की सर्वाधिक मार क्षेत्रीय दलों के नेताओं को भुगतनी पड़ सकती है। गौरतलब है कि मुलायम, जयललिता, मायावती, लालू प्रसाद, जगनमोहन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले अदालतों में चल रहे हैं।
इसके अतिरिक्त झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन, एम करुणानिधि, ए राजा, कनिमोझी भी अलग-अलग आपराधिक मामला झेल रहे हैं।
अगर इन हस्तियों को इन मामलों में किसी भी अदालत से सजा हुई तो इनके राजनीतिक कैरियर पर विराम लग सकता है। इस समय 162 सांसद दागी हैं, इनमें से 75 सांसदों के खिलाफ संगीन आरोप हैं। जबकि 4292 विधायकों में से 1286 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
क्या होगा लाभ
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राजनीति का साफ स्वच्छ बनाने में मदद मिलेगी। आपराधिक रिकॉर्ड वाले नेता संसद और विधानसभाओं में नहीं पहुंच सकेंगे।
चुनाव आयोग समय समय पर अपनी रिपोर्टों में आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों को चुनाव लड़ने से रोकने की जोरदार वकालत करता रहा है।
राजनीतिक दलों की बोलती बंद
चुनाव आयोग की अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने की सिफारिशों का लगातार विरोध करते रहे राजनीतिक दलों को अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सांप सूंघ गया है। उनके मुंह से कुछ बोल नहीं निकल रहे हैं।
इस फैसले को अपने लिए झटका मान रहे दलों को डर है कि इसका विरोध करने से जनता के बीच गलत संदेश जाएगा। तमाम दलों के नेता फिलहाल अध्ययन के बाद ही फैसले पर कुछ कह पाने का तर्क दे रहे हैं।
क्या है कानून
जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(3) के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो वह अयोग्य हो जाएगा। जेल से रिहा होने के छह साल बाद तक वह जनप्रतिनिधि बनने के लिए अयोग्य रहेगा।
इसकी उपधारा 8(4) में प्रावधान है कि दोषी ठहराए जाने के तीन माह तक किसी जनप्रतिनिधि को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता है। और दोषी ठहराए गए सांसद या विधायक ने कोर्ट के निर्णय को इन दौरान यदि ऊपरी अदालत में चुनौती दी है तो वहां मामले की सुनवाई पूरी होने तक उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।
फैसले के बाद
अब किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे ज्यादा की सजा के प्रावधान के तहत दोषी करार दिया जाता है तो दोषी करार दिए जाने के दिन से ही वह अयोग्य हो जाएगा।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि उसका फैसला आने से पहले जो सांसद या विधायक अपनी सजा को ऊपरी अदालत में चुनौती दे चुके हैं उन पर यह आदेश लागू नहीं होगा।
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निर्दोष साबित नहीं हुए तो जल्द ही आएंगे कोर्ट के फैसले के दायरे में
नाम–आरोप–मुकदमे की स्थिति
जगनमोहन रेड्डी (सांसद)–आय से अधिक संपत्ति मामला–सीबीआई द्वारा चार्जशीट
बीएस येदियुरपपा (पूर्व मुख्यमंत्री, कर्नाटक)–गैर कानूनी खनन घोटाला–मामला अदालत में
सुरेश कलमाडी (सांसद)–राष्ट्रमंडल खेल घोटाला–आरोप तय, जमानत पर रिहा
ए. राजा (पूर्व केंद्रीय मंत्री)–2जी स्पेक्ट्रम घोटाला–आरोप तय, जमानत पर रिहा
कनीमोझी (सांसद)–2जी स्पेक्ट्रम घोटाला–आरोप तय, जमानत पर रिहा
अशोक चव्हाण (मुख्यमंत्री महाराष्ट्र)–आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला–आरोप तय
कौन आ सकते हैं लपेटे में
बाबूभाई बोखरिया (पूर्व मंत्री, गुजरात सरकार)–अवैध खनन मामला
रंगनाथ मिश्र (यूपी के पूर्व माध्यमिक शिक्षा मंत्री)–लेकफैड घोटाला
बाबू सिंह कुशवाहा (पूर्व मंत्री, यूपी सरकार)–एनआरएचएम घोटाला
गोपाल कांडा (पूर्व मंत्री, हरियाणा सरकार)–एयरहोस्टेस खुदकुशी मामला
राघव जी (पूर्व मंत्री, मध्य प्रदेश सरकार)–यौन शोषण मामला
मुख्तार अंसारी (निर्दलीय विधायक, यूपी)–हत्या के मामले में
मधु कोड़ा (पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड)–भ्रष्टाचार का मामला
कितनों पर लटकी तलवार
162–कुल दागी सांसद
1286–विधायक
–162 सांसदों पर विभिन्न आरोपों में आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें 76 सांसद ऐसे हैं जिन पर चल रहे आपराधिक मामलों में उन्हें पांच साल से ज्यादा की सजा सुनाई जा सकती है।
–1460 विधायकों पर देश भर में विभिन्न आरोपों में आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें 30 फीसदी विधायक ऐसे हैं जिन पर चल रहे आपराधिक मामलों में उन्हें पांच साल से ज्यादा की सजा सुनाई जा सकती है।
–एनजीओ एडीआर की ओर से जुटाए आंकड़ों के मुताबिक।
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–14वीं लोकसभा में दागी सांसदों की संख्या 128 थी।
–वर्ष 2004 (14वीं लोकसभा) में 55 सांसदों पर संगीन आरोप थे, 15वीं लोकसभा में (2009 के चुनाव के बाद आए परिणाम के अनुसार) बढ़कर 72 हो गए।
–(2009 में लोकसभा चुनाव में बाद नेशनल इलेक्शन वॉच द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार)