सारा जहां और एक इशरत जहाँ

10 दिन पहले उत्तराखंड में बिना किसी कसूर के मारे गए 10,000 मासूम और 9 साल पहले मारी गयी इशरत जहां मै कौन सी घटना ज्यादा मार्मिक और वृहद है ?

इस सवाल का जवाब 5-6 साल का बच्चा भी दे सकता है. लेकिन कांग्रेस को सारे जहां से बड़ा इशरत जहां का केस लग रहा है. सच ये है कि उत्ताखंड की बात अगर कांग्रेस करे तो वो खुद मारी जाती है क्यूंकि वहाँ सरकार उसी की है. तो कैसे उतरा जाए मुसीबत के पहाड से ?

अगर इशरत जहाँ को मुद्दा बनाए तो कैसा रहेगा ? मुस्लिम वोट बैंक भी मज़बूत होगा और मोदी की मुश्किलें भी बढेगी. राजनीती में एक तीर से दो शिकार कम ही करने को मिलते है. लिहाजा कांग्रेस ने इशरत जहाँ को मुद्दा बनाकर राजनितिक तौर पर गलत नहीं किया. सिर्फ सत्ता ही उदेश्य हो तो कांग्रेस का फैसला सही है. इशरत जहाँ पर की गयी राजनीत पर में कांग्रेस का समर्थन करता हूँ.

यूँ भी लश्कर-वश्कर, पाकिस्तान-वकिस्तान, आतंक-वातंक का क्या लेना इशरत से. कोई लड़की क्या लश्कर के आतंकवादियों से दोस्ती नहीं कर सकती ? क्या दोस्ती में घर के बाहर रात गुजारना पाप है ? क्या गलत है …क्या लश्कर के लड़के हिंदुस्तान की किसी लड़की से मोहब्बत नहीं कर सकते ? friends lets be broadminded. lets not see things from terror angle. lets be forward looking.

जी हाँ छोडिये बेकार की बातें …. आएये साथ मिलकर भारत निर्माण करें.

 

Deepak Sharma(_Aaj Tak)