लाशों के बीच रहने को मिली पांच फीट जगह

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सैकड़ों लाशों के बीच हम 12 लोग। मरघट से सन्नाटे में हवा में तैरती दुर्गंध से पार पाना मुश्किल। अपने टिकने लायक बमुश्किल पांच फीट की जगह। कुछ ठंड और उससे ज्यादा डर। आलम यह था कि पुलिसकर्मी गुमसुम हो गए। रेस्क्यू के बाद तीन दिन तो किसी ने किसी से बात तक भी नहीं की।

आदेश शवों के दाह संस्कार का आया तो उलझन और बढ़ गई। चॉपर से जो लकड़ी फेंकी गई थी वह मीलों दूर जा गिरी थी। ऐसे में टूटे दरवाजे, चौखट, फट्टे जुटाए और चिता बनाकर दाह संस्कार शुरू कर दिया। पांच रात इस मंजर में रहने से कई पुलिसकर्मी सदमे में आ गए। केदारघाटी में शवों के बीच ड्यूटी दे रहे पुलिसकर्मियों कैसे रात गुजार रहे हैं, बयां नहीं किया जा सकता।

तबाही के बाद यह हालात खुद बयां किए डीआईजी संजय गुंज्याल ने। उनके मुताबिक शासन से जब केदारनाथ में रेस्क्यू करने का आदेश मिला तो उनके साथ सात अन्य पुलिसकर्मियों की टीम हेलीकॉप्टर से वहां पहुंची। यही चॉपर वापस लौटते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।