मिस्र के अभियोजन कार्यालय ने कहा है कि वो अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी और मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्यों के खिलाफ आई शिकायतों की जाँच कर रहा है।
मुर्सी और उनके संगठन के खिलाफ़ जासूसी, प्रदर्शनकारियों की मौत के लिए उकसावे की कार्रवाई, सैन्य बैरकों पर हमलें और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने जैसे मामलों की जांच की जाएगी।
गौरतलब है कि मिस्र की सेना ने मोहम्मद मुर्सी को तीन जुलाई को राष्ट्रपति पद से हटा दिया था। उन्हें फिलहाल एक अज्ञात स्थान पर हिरासत में रखा गया है।
अमेरिका और जर्मनी ने मुर्सी को रिहा किए जाने की माँग की है।
मिस्र के अंतरिम नेता अदली मंसूर ने अगले साल की शुरूआत में चुनाव कराने का वादा किया है। मिस्र में तनाव बढ़ता जा रहा है। मुर्सी के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुए हिंसक संघर्षों में पिछले कुछ हफ़्तों में दर्जनों लोगों की मौत हो गई है।
अभियोजन कार्यालय का कहना है कि वह शिकायतों पर जाँच कर रहा है ताकि आरोपियों से पूछताछ करने के लिए दस्तावेज तैयार किए जा सकें।
ग़िरफ़्तारी वारंट
मुर्सी के अलावा ब्रदरहुड के सर्वोच्च नेता मोहम्मद बदी, ब्रदरहुड की राजनीतिक इकाई फ्रीडम एंड जस्टिस पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता और उप निदेशक अज्जाम-अल-अरियन के ख़िलाफ़ भी शिकायतों की जाँच की जा रही है।
मोहम्मद बदी और अन्य कई वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ पहले से ही सैन्य बैरक के सामने हिंसा भड़काने के आरोपों में ग़िरफ़्तारी वारंट जारी किए जा चुके हैं। क़हिरा में हुई एक हिंसक घटना में 50 से अधिक लोग मारे गए थे जिनमें अधिकतर मुर्सी समर्थक थे।
3 जुलाई से ही मुर्सी के समर्थक भारी तादाद में क़ाहिरा के अलग-अलग इलाकों में प्रदर्शन कर रहे हैं। वे सेना द्वारा मुर्सी को हटाने की कार्रवाई को सैन्य तख्तापलट मानते हुए मुर्सी को दोबारा राष्ट्रपति बनाए जाने की माँग कर रहे हैं।
दूसरी ओर सेना का कहना है कि उसने मिस्र के लोगों द्वारा लाखों की तादाद में विरोध प्रदर्शन करते हुए मुर्सी पर अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने और तानाशाही रवैये के आरोप लगाने के बाद ही यह कार्रवाई की है।
सुलह को झटका
क़हिरा में मौजूद बीबीसी के संवाददाता जेम्स रेनॉल्ड्स के मुताबिक अभियोजन कार्यालय के इस कदम से अंतरिम प्रशासन और मुस्लिम ब्रदरहुड के बीच किसी तरह के समझौते की संभावना के प्रयासों को नुक़सान होगा।
इससे पहले शुक्रवार को जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए मिस्र से मुर्सी पर लगे प्रतिबंध हटाने और रेड क्रॉस जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को उन तक पहुँचने की अनुमति देने का आग्रह किया था।
अमेरिका ने भी जर्मनी से सहमति जताई थी।
शनिवार को मुस्लिम ब्रदरहुड ने कहा, “मुख्य मुद्दा लोगों के अधिकारों की रक्षा करना और चुनाव के जरिए उनकी पसंद को स्वीकार करना है।”
ब्रदरहुड के प्रवक्ता गेहाद-अल-हद्दाद ने कहा, “जब तक मुर्सी को दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनाया जाता तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे और आने वाले समय में यह और तेज होंगे।”
मुर्सी मिस्र के पहले स्वतंत्र रूप से चुने गए और इस्लामवादी राष्ट्रपति थे। सत्ता से हटाए जाने के बाद से ही उन्हें अज्ञात स्थान पर रखा गया है। मिस्र के सेना ने संविधान को भी निलंबित कर दिया है।
असहमति
अंतरिम नेता अदली मंसूर ने 8 जुलाई को मिस्र के संविधान और चुनावों के लिए यह समयसीमा जारी की थी: पंद्रह दिन के अंदर संविधान में बदलाव के सुझाव के लिए एक पैनल का गठन।
साल 2014 की शुरुआत में प्रजातांत्रिक तरीके से संसदीय चुनाव संपन्न कराना।
संसदीय चुनावों के बाद राष्ट्रपति चुनाव संपन्न कराना।
मुर्सी के समर्थकों ने इस योजना को नकार दिया है जबकि मुर्सीके विरोधी कुछ राजनीतिक दलों जिनमें उदारवादी दलों का गठबंधन नेशनल सालवेशन फ्रंट भी शामिल है, का कहना है कि उनसे इस बारे में कोई बात नहीं की गई है।