भाजपा के एक और मंत्री ने किया महिला का यौन शोषण!
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। राघवजी प्रकरण के बाद अब भाजपा के संगठन मंत्री अरविंद मेनन का मसला तूल पकड़ रहा है।
राज्य मानवाधिकार आयोग ने जबलपुर के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए हैं कि अरविंद मेनन के विरुद्ध शिकायत करने वाली महिला का पता लगाया जाए और अगले 15 दिनों में जानकारी प्रस्तुत की जाए।
जबलपुर पुलिस सूत्रों के अनुसार महिला के बारे में तफ्तीश कर ली गई है और ऐसी किसी महिला का होना नहीं पाया गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह मामला सीबीआई को सौंपने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि आरएसएस की ओर से पार्टी में आए अरविंद मेनन प्रदेश संगठन मंत्री हैं और उनके खिलाफ 28 जनवरी 2011 में एक महिला ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे। यह मामला मानवाधिकार आयोग के पास है।
जबलपुर पुलिस अधीक्षक हरिचारी मिश्रा ने अमर उजाला को बताया कि पूर्व में भी शिकायतकर्ता महिला के बारे में मानवाधिकार आयोग ने जानकारी मांगी थी वह पुलिस ने प्रस्तुत कर दी थी।
अब फिर जानकारी मांगी है। तफ्तीश कर ली गई है और यह जानकारी जल्दी ही भेज दी जाएगी।
इस मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अरविंद मेनन के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है।
रविवार को मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र में नसरुल्लागंज में कांग्रेस के सारे प्रमुख नेता जुट रहे हैं। जहां मुख्यमंत्री पर निशाना साधने की तैयारी की जा रही है।
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस भाजपा के एक विधायक ध्रुवनारायण सिंह पर उतने हमले नहीं कर रही, जो शहला मसूद हत्याकांड के दौरान विवाद में आए थे। उनका परिवार कांग्रेस की राजनीति में बहुत प्रभावशाली रहा है।
भूरिया ने अपने पत्र में लिखा है कि राघवजी प्रकरण से पूरे देश में प्रदेश का नाम खराब हुआ है। अरविंद मेनन के मामले में ढाई साल से कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए शक बढ़ता है।
भूरिया ने कहा कि यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है बल्कि समाज और संस्कृति से जुड़ा है, इसमें मुख्यमंत्री को अपना दायित्व निभाएं और प्रदेश के दामन पर लगे दाग को मिटाना चाहिए।
भूरिया ने अपने पत्र में यह भी सवाल उठाया कि आखिर वह महिला कहां है यह पता लगाना चाहिए। वह महिला दो साल से लापता है।
भूरिया ने लगे हाथ यह पत्र मीडिया को जारी करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के कार्यालय से ऐसे पत्रों का जवाब नहीं आता है और पता नहीं कहां गुम जाते हैं।