विपक्षी दलों के कड़े ऐतराज के बावजूद यूपीए सरकार खाद्य सुरक्षा योजना को लागू करने के लिए अध्यादेश लाने जा रही है। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
आगामी लोकसभा चुनाव में गेमचेंजर के रूप में देखी जा रही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की इस महत्वाकांक्षी योजना पर अमल का रास्ता साफ हो गया है। सरकार जल्द ही संसद में इससे संबंधित विधेयक को पारित कराने की भी कोशिश करेगी।
इस योजना से देश की दो तिहाई आबादी को रियायती दरों पर अनाज मिलेगा। खाद्य सुरक्षा के दायरे में गांवों की 75 और शहरों की 50 फीसदी आबादी को शामिल किया गया है।
हालांकि भाजपा ने सरकार के इस कानून के प्रारूप पर असहमति जताई है और उसने छत्तीसगढ़ मॉडल की वकालत की है।
पार्टी प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ मॉडल लोगों का पेट भरने के साथ ही पौष्टिकता भी उपलब्ध कराने का इंतजाम करता है। इसमें नमक, दाल भी मुहैया कराया जाता है।
बहरहाल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट ने खाद्य सुरक्षा बिल को अध्यादेश के जरिए लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
कांग्रेस का गेमचेंजर
देश की 67 फीसदी आबादी यानी लगभग 80 करोड़ लोगों को योजना के दायरे में लाया गया है। गांवों की 75 और शहरों की 50 फीसदी आबादी को योजना का लाभ मिलेगा। कांग्रेस इस योजना को लोकसभा चुनाव के लिए गेमचेंजर के तौर पर देख रही है।
कांग्रेस ने फैसले को ऐतिहासिक बताया
कांग्रेस ने खाद्य सुरक्षा बिल के मामले में संसद में बहस से भागने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विभिन्न दलों के बीच वैचारिक सहमति नहीं बन पाने के कारण सरकार को अपनी वचनबद्धता निभाने के लिए अध्यादेश लाने का रास्ता अपनाना पड़ा।
पार्टी प्रवक्ता अजय माकन ने सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है और कहा है कि आम आदमी के फायदे के लिए उठाए गए इस कदम का विरोध करने का जिन पार्टियों में मादा है, वे संसद में अपनी बात रख सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बहस से कौन भाग रहा है इसका फैसला तो जनता करेगी।
अध्यादेश चुनावी स्टंट: भाजपा
भाजपा ने यूपीए सरकार पर खाद्य सुरक्षा विधेयक पर संसद में बहस से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह चुनावी स्टंट के तहत जल्दबाजी में विधेयक के स्थान पर अध्यादेश लेकर आई है।
पार्टी प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा कि पार्टी इस विषय के महत्व को समझती है। इसलिए उसने शुरू में ही इस पर संसद में व्यापक बहस कराने तथा विधेयक को पारित करने के लिए मानसून सत्र को पहले बुलाने की मांग की थी।
उन्होंने कहा कि यूपीए-2 ने सत्ता में आने के बाद कहा था कि वह 100 दिन में खाद्य सुरक्षा बिल को अमली जामा पहना देगी लेकिन वह पिछले चार साल से इस पर कुंडली मारे बैठी रही और अब चुनाव से ऐन पहले राजनीतिक फायदे के लिए वह इसे तुरुप के पत्ते की तरह इस्तेमाल करना चाहती है।
योजना की खासियत:
– बीपीएल परिवारों को प्रति माह प्रति व्यक्ति सात किलो अनाज।
– एपीएल परिवारों को प्रति माह प्रति व्यक्ति तीन किलो अनाज।
– एक रुपये की दर से मोटा अनाज, दो रुपये प्रति किलो गेहूं और तीन रुपये प्रति किलो चावल देने का प्रावधान।
– खाद्य सुरक्षा कानून के लागू होने पर करीब 6.12 करोड़ टन अनाज की जरूरत पड़ेगी।
– गर्भवती महिलाओं को पोषण के लिए छह माह तक 1000 रुपये प्रति माह देने और बच्चों को स्नैक्स देने का प्रावधान।
– एपीएल परिवारों को अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की आधी कीमत चुकानी होगी।
– देश की 67 फीसदी आबादी यानी लगभग 80 करोड़ लोगों को इसके दायरे में लाया गया है।
– ग्रामीण क्षेत्रों की 75 फीसदी आबादी में से 46 फीसदी और शहरों की 50 फीसदी में से 28 फीसदी बीपीएल परिवार शामिल किए गए।
– इस कानून के तहत बेसहारा महिलाओं, बच्चों और इनसे जुड़े विशेष समूहों के साथ ही प्राकृतिक आपदा के शिकार और भुखमरी से गुजर रहे लोगों को शामिल किया गया।