जब गाड़ी छोड़ रिक्‍शे पर सवार हुए महानायक

amitabh-bachchan-514d9eb9735ff_lउप्र के इलाहाबाद में एक बार ऐसा भी हुआ है कि जब महानायक अमिताभ बच्चन रिक्‍शे से अपने चाहनों वालों के बीच पहुंच गए। आज भी अमिताभ वह किस्सा याद करके मुस्कुरा उठते हैं।

अमिताभ बच्चन अपने प्रशंसकों के बीच सदी के महानायक के रूप में मशहूर हैं। इस विशेषण के पार्श्व में कितनी सच्चाई है और कितनी कपोल-कल्पना यह तो उनके फैन्स ही बता सकते हैं, लेकिन इतना जरूर है कि उनमें निश्चित ही कुछ तो ऐसी विशेषता है, जो सहज ही उन्हें दूसरे स्टारों से अलग कर देती है।

उत्तर प्रदेश फिल्म पत्रकार संघ के एक प्रशस्ति समारोह में शामिल होने जब वह लखनऊ आए, तो उनके पास बहुत समय नहीं था। सवेरे नौ-दस के आसपास वह यहां पहुंचे थे और फिर शाम छह बजे की फ्लाइट से उन्हें वापस लौटना था। लेकिन इस व्यस्त कार्यक्रम के बीच भी अपने मित्रों और परिचितों को भूल पाना उनके लिए सहज-संभव नहीं हो पाया।

अवॉर्ड फंक्शंस और तदुपरांत आयोजित लंच के फौरन बाद उन्होंने मुझसे कहा कि शाम की फ्लाइट पकड़ने के पहले उन्हें अपने ताऊ-समान भगवतीचरण वर्मा और बुवा-सरीखी सुमित्रा कुमारी सिन्हा से भेंट करनी है और उस काम के लिए किसी वाहन की व्यवस्था मैं कर दूं। टैक्सी का प्रबंध मैंने तत्काल कर दिया और साथ ही अपने एक सहयोगी को भी उनके साथ नत्थी कर दिया जिससे रास्ते में कहीं उन्हें भटकना न पड़ जाए।

उसको साथ लेकर अमिताभ फौरन ही होटल से निकल पड़े। पहले वह महानगर-स्थित भगवतीबाबू के चित्रलेखा नामक आवास में गए और उनके चरणों की अभ्यर्थना के साथ बच्चनजी के हालचाल से उन्हें अवगत कराया। बाद में वह रिवर-बैंक कॉलोनी स्थित सुमित्राजी के फ्लैट पर पहुंचे और वहां भी दुआ-सलाम की सामान्य औपचारिकताओं का निर्वहन किया।

सुमित्राजी आमतौर पर हालांकि हमारे हर समारोह में शामिल होती थीं, लेकिन उस बार किंचित अस्वस्थ होने के कारण उनका आना संभव नहीं हो पाया था। इसी बीच उन्हें याद आई कि पुराने लखनऊ में भी बच्चनजी का कोई सुहृद रहता है और उससे मिलने की इच्छा उन्होंने जाहिर की।

विभिन्न छोटे-मोटे गली-कूचों को पार करते हुए वह लोग जब वहां पहुंचे तो पता चला कि उसके घर तक किसी मोटरगाड़ी से पहुंचना कठिन है। उस रास्ते को चाहे वह पैदल पार करें या किसी रिक्शे पर।

अमिताभ ने रिक्शे को वरीयता दी और गली-दर-गली पार करते हुए उसके दरवाजे तक पहुंच ही गए। जाहिर है कि उन्हें रिक्शे पर देख लोगों में कानाफूसी तो हुई ही होगी, लेकिन फिर यही सोच कर वह संतुष्ट हो गए होंगे कि वह मात्र उनका दृष्टिभ्रम था। भला अमिताभ जैसा सदाबहार अभिनेता कहीं रिक्शे पर चढ़ सकता है!