उत्तराखंड में मची तबाही के बाद जहां एक तरफ राहत और बचाव कार्य अंतिम दौर में पहुंच रहे हैं, वहीं राज्य सरकार के एक कदम ने कयासों को हवा दे दी है।
दरअसल, गौरीकुंड से केदारनाथ के बीच 14 किलोमीटर की सड़क पर सभी लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगा दी गई है। इसकी वजह महामारी की आशंका को बताया जा रहा है।
लेकिन यह आशंका प्रबल हो गई है कि इस पूरे रास्ते पर लाशें बिछी पड़ी हैं, इसलिए यह बैन लगाया गया है। वहां प्रेस की आवाजाही भी रोकी गई है।
रुद्रप्रयाग के डीएम के मुताबिक शव निकालने और अंतिम संस्कार का काम जारी है, लेकिन यह पाबंदी महामारी की आशंका के चलते लगाई गई है।
लेकिन बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सदस्य के मुताबिक यह कदम इसलिए उठाया गया, ताकि आपदा में मारे गए लोगों की सही संख्या छिपाई जा सके।
केदारनाथ में साफ-सफाई का काम मुश्किलें पेश कर रहा है, क्योंकि वहां दुर्गम पहाड़ियों में टनों मलबा फैला पड़ा है और उनमें दबी-फंसी लाशें तेजी से सड़ रही हैं। रामबाड़ा में खास तौर से महामारी फैलने की ज्यादा आशंका है।
सरकार ने वहां 200 लोगों की विशेष टीम भेजने का फैसला किया है, जिसमें पुलिस, सुरक्षा बल, राज्य के अधिकारी, डॉक्टर और सफाईकर्मी शामिल होंगे। सवाल उठाया जा रहा है कि सड़क बंद करने से साफ-सफाई के काम में आखिर तेजी कैसे आएगी?
इस इलाके में मौसम भी खराब है, जिससे यह प्रक्रिया धीमी पड़ रही है। हेलीकॉप्टर से लकड़ियां भेजने में भी समस्या पैदा हो रही है। अब तक केवल तीन दर्जन शवों का अंतिम संस्कार किया गया है, जबकि सैकड़ों बचे हैं।
ऐसी भी खबर है कि शवों को निकालने के काम लगा स्टाफ भी बीमार पड़ रहा है, हालांकि, राज्य सरकार इससे इंकार कर रही है।
उसने 230 किलोमीटर लंबे ऋषिकेश-केदारनाथ राजमार्ग पर गौरीकुंड से केदारनाथ के 14 किलोमीटर स्ट्रेच पर आवाजाही पर पूरी तरह बैन लगा दिया है। इस रास्ते पर सैकड़ों लाश मौजूद बताई जा रही हैं।