भारत में 15 जुलाई 2013 से डाक विभाग ने तार सेवा को हमेशा के लिए बंद कर दिया। 14 जुलाई को भेजे गए अंतिम तार ने डाक विभाग की सेवाओं की पोल खोल कर रख दी।
14 जुलाई को रात 11:10 बजे भेजा गया अंतिम तार लगभग नौवें दिन अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचा। 15 किलोमीटर दूर तार भेजने में डाक विभाग को लगभग नौ दिन लग गए। वो भी प्राप्तकर्ता को डाक घर जाकर तार लेना पड़ा।
हालांकि देश का पहला तार जब कोलकाता से डायमंड हार्बर भेजा गया था तब वह ढाई घंटे में ही अपने गंतव्य स्थान तक पहुंच गया था। कोलकाता से डायमंड हार्बर की दूरी 40 किलोमीटर से अधिक है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, गौर चक्रवर्ती ने बताया कि दुनिया का अंतिम तार भेजने वाला व्यक्ति बनने के लिए उन्होंने अरियादहा में रहने वाली अपनी बहन सुजाता दत्ता को तार भेजा। उन्हें उम्मीद थी कि अगले 48 घंटे में तार गंतव्य स्थान तक पहुंच जाएगा।
लेकिन नौंवे दिन सोमवार को वह परेशान होकर अपनी बहन को स्थानीय डाक घर ले गए। उसी दिन तार भी डाक घर आया था। वहीं उन्होंने तार ले लिया।
गौर चक्रवर्ती ने कोलकाता के डलहौजी क्षेत्र के केंद्रीय जार विभाग से अंतिम तार भेजा था।
उन्होंने कहा, ‘मैं काफी खुश हूं कि विश्व का अंतिम तार अंततः अपने गंतव्य तक पहुंच गया। लेकिन पिछले 163 साल में तार सेवा में हुए सुधार को देख दुख होता है।’
डाक विभाग ने बताया कि अंतिम दिन तार भेजने वालों की संख्या अधिक थी। पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण तार पहुंचने में विलंब हो गया।