रोहतांग दर्रा और आसपास के इलाके को पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित रखने के हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन न होने पर कोर्ट ने परिवहन, पर्यटन और गृह सचिवों से शपथपत्र के माध्यम से स्पष्टीकरण मांगा है।
हाईकोर्ट ने इन्हें अदालती आदेशों की अनुपालना बारे रिपोर्ट दायर के लिए 28 जून तक का समय दिया है। मुख्य न्यायाधीश मानिकराव खानविलकर और न्यायाधीश कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने टैक्सी ऑपरेटर यूनियन की उस मांग को ठुकरा दिया, जिसके तहत रोहतांग क्षेत्र में गाड़ियों की आयुसीमा समाप्त करने की गुहार लगाई थी।
अदालत ने नेशनल एन्वायरमेंट इंजीनियरिंग रीजनल इंस्टीट्यूट के सुझावों के तहत कोठी से रोहतांग तक चार वर्ष से ज्यादा पुराने व्यावसायिक वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी है।
अदालत ने कहा कि एशिया में काला कार्बन उत्पन्न करने वाला मुख्य स्रोत परिवहन है। हमें जनहित को सर्वोपरि रखते हुए पर्यावरण को बचाना है। टैक्सी ऑपरेटर यूनियन की निजी समस्याओं को ही नहीं देखना है।
अदालत ने कहा कि रोहतांग में पर्यावरण प्रदूषण की जो समस्या उत्पन्न हुई है, वह काफी गंभीर है। इस कारण इस क्षेत्र में पुरानी गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगाने वाले अदालती आदेशों में फेरबदल नहीं किया जा सकता।
अदालत ने पाया कि डीजल, पेट्रोल और बैटरी से चलने वाले चार साल से पुराने स्नो स्कूटर को अभी बंद नहीं किया गया है, जिन्हें बंद करने को अदालत ने आदेश पारित किया था।
यही नहीं, अदालत ने कोठी से रोहतांग दर्रे के बीच चल रहे अवैध फूड स्टॉल और ढाबों को तुरंत हटाने के आदेश दिए थे। मामले की अगली सुनवाई 28 जून को निर्धारित की गई है।