एनआरएचएम, लैकफेड, चीनी मिल बिक्री और स्मारक घोटाले की लोकायुक्त जांच का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा कि मायाराज के एक और घोटाले का जिन्न बाहर आ गया है।
मायाराज में बसपा महासचिव नसीमुद्दीन सिददीकी के सिंचाई मंत्री रहते विभाग में 282 कनिष्ठ लिपिकों (बाबू) की भर्ती हुई थी।
भर्ती प्रक्रिया में ऐसे अभ्यर्थियों को भी टाइपिंग परीक्षा में पास कर दिया गया जिन्हें टाइपिंग नहीं आती थी।
यही नहीं साक्षात्कार में भी ऐसे अभ्यर्थियों उत्तीर्ण घोषित कर दिया जो फेल हो गए थे।
यह खुलासा शासन के निर्देश पर कराई गई विभागीय जांच में हुआ है। भर्ती में अनियमितता की पुष्टि होने के बाद शासन ने विभागीय मंत्री शिवपाल सिंह यादव से कार्रवाई की सिफारिश की है।
सिंचाई विभाग में 2008-09 में तत्कालीन मुख्य अभियंता (शारदा) अवधू राम की अध्यक्षता में कनिष्ठ लिपिकों की भर्ती के लिए चयन समिति गठित हुई थी।
विभागीय जांच में भर्ती प्रक्रिया के दौरान टाइपिंग परीक्षा एवं साक्षात्कार में व्यापक स्तर पर अनियमितताएं सामने आई है। टाइपिंग में ऐसे परीक्षार्थियों को पास कर दिया जिसे टाइपिंग आती ही नहीं थी।
महत्वपूर्ण बात यह है कि मायाराज में हुई भर्ती प्रक्रिया में धांधली का अभ्यर्थियों ने काफी विरोध किया लेकिन मामले को अफसरों ने दबा दिया था।
गत वर्ष सपा सरकार के सत्ता में आने के बाद शासन ने 11 जून 2012 को भर्ती घोटाले की जांच के लिए प्रमुख अभियंता (परिकल्प एवं नियोजन) को जांच अधिकारी नामित किया था।
अब प्रमुख अभियंता के जांच में सामने आया है कि टाइपिंग परीक्षा की कई सीट में टंकित शब्दों का योग वास्तव में सीटों पर टंकित शब्दों के योग से अधिक है।
अनुत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भी साक्षात्कार के लिए बुलाया गया और उन्हें उत्तीर्ण कर कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनाती भी दे दी गई।
यही नहीं हैरान कर देने वाले इस भर्ती घोटाले में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की जगह पर दूसरे अभ्यर्थी को कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनाती देने की भी पुष्टि हुई है।
समिति के सदस्यों का ब्योरा तलब
कनिष्ठ लिपिकों की भर्ती के लिए चयन समिति बनी थी लेकिन शासन के निर्देश कराई गई जांच में अध्यक्ष के अलावा समिति के किसी अन्य सदस्य का उल्लेख नहीं किया गया है।
यहां तक कि जांच अधिकारी ने रिपोर्ट पर दस्तखत करने के बाद अपना नाम व पदनाम नहीं लिखा है। ऐसे में अब जांच अधिकारी कौन है, शासन ने तमाम ब्योरा विभाग से तलब किया है।