Social Media: आपत्तिजनक कमेंट पर सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ऩे अपने एक फैसले में आज कहा कि बिना सीनियर अधिकारियों की अनुमति के सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आपत्तिजनक कमेंट करने वाले की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए।
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की आंध्र प्रदेश शाखा की महासचिव जया विंध्याला की गिरफ्तारी संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में गिरफ्तारी करने पर वह बैन नहीं लगा सकती। इसकी वजह यह है कि सुप्रीम कोर्ट अभी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ए की संवैधानिक वैधता पर विचार कर रहा है।
कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नौ जनवरी को जारी किए गए केंद्र सरकार के दिशा निर्देश का पालन करना चाहिए।
केंद्र सरकार ने फेसबुक पर पोस्टों को लाइक करने और कमेंट करने के मामले में हुई एक गिरफ्तारी के बाद ये निर्देश जारी किए थे।
इस निर्देश में केंद्र सरकार ने कहा था कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कमेंट के मामले में किसी को भी गिरफ्तार करने से पहले सीनियर अधिकारियों की अनुमति ली जानी चाहिए।
जया विंध्याला को फेसबुक पर तमिलनाडु के गवर्नर के. रोसैया और कांग्रेस के विधायक अमांची कृष्ण मोहन के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी लिखने के आरोप में 12 मई को गिरफ्तार किया गया था।