नई दिल्ली।। आम आदमी पार्टी (आप) ने ब्रिटिश टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन के टैक्स विवाद को सुप्रीम कोर्ट के बाहर निपटाने के लिए कानून मंत्री कपिल सिब्बल की अप्रत्याशित पहल पर सवाल उठाया है। आप ने आरोप लगाया कि सिब्बल अपने वकील बेटे के जरिए वोडोफोन को फायदा पहुंचा रहे हैं। इस मामले में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और अटर्नी जनरल जी वाहनवती पर भी उंगली उठाई गई है।
बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ‘आप’ के नेता अरविंद केजरीवाल और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने पूछा कि हचिसन-वोडाफोन डील में वोडाफोन को 12 हजार करोड़ रुपये की टैक्स देनदारी में राहत क्यों दी जानी चाहिए? आप ने आरोप लगाते हुए कहा कि कपिल सिब्बल के बेटे अमित सिब्बल हचिसन के वकील हैं। कानून मंत्री बनते ही सिब्बल अपने बेटे के जरिए इन कंपनियों को फायदा पहुंचा रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि वोडाफोन और हचिसन ने एस्सार कंपनी के साथ रिश्वतखोरी अग्रीमेंट किया हुआ है। हचिसन और वोडाफोन ने भारत के कोर्टों से मामले वापस लेने या खारिज करवाने के लिए एस्सार को 2 हजार करोड़ दिए हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से मामले को रफा-दफा करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर कपिल सिब्बल को ऐसी जल्दी क्या थी कि कानून मंत्री का पद मिलते ही उन्होंने वोडाफोन से सुप्रीम कोर्ट के बाहर समझौता करने की बात कह दी। कपिल सिब्बल को बताना चाहिए कि इन 2000 करोड़ रुपए में से उन्हें कितना पैसा मिला है?
आप ने इस मामले में पी. चिदंबरम और अटर्नी जनरल वाहनवती को भी लपेटा है। आप के मुताबिक अश्विनी कुमार के कानून मंत्री रहते वाहनवती भी समझौते के खिलाफ थे, लेकिन सिब्बल के आते ही वह पलट गए। उन्होंने सिब्बल से वोडाफोन से समझौते की सिफारिश की और सिब्बल भी मान गए। आप ने आरोप लगाया कि इसमें कुछ पैसे सिब्बल के अलावा पी. चिदंबरम और वाहनवती को भी मिले होंगे।
गौरतलब है कि फाइनेंस मिनिस्ट्री ब्रिटिश टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन से बातचीत से टैक्स विवाद के निपटारे के लिए कैबिनेट से इजाजत मांग सकती है। एक सीनियर सरकारी ऑफिसर ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि ‘सुलह के लिए कैबिनेट से इन-प्रिंसिपल अप्रूवल लेने का प्लान है।’ मंगलवार को लॉ मिनिस्ट्री ने अटर्नी जनरल से मिली राय फाइनेंस मिनिस्ट्री को भेज दी थी। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा कि वोडाफोन से सुलह के लिए सरकार बातचीत शुरू कर सकती है।
टैक्स को लेकर सरकार के साथ वोडाफोन का विवाद काफी समय से चल रहा है। सरकार का कहना है कि वोडाफोन पर 2007 में हुए ट्रांजैक्शन पर टैक्स बकाया है। इसमें वोडाफोन ने हचिसन इंडिया में हॉन्गकॉन्ग की हचिसन वामपोआ का स्टेक खरीदा था। वोडाफोन ने टैक्स की डिमांड को चैलेंज किया। जनवरी 2012 में उसे सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में जीत हासिल हुई। बाद में सरकार ने टैक्स कानून में बदलाव कर दिया। इसके बाद कंपनी ने इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन प्रोसिडिंग्स शुरू करने की धमकी दी। अगस्त 2012 में पी चिदंबरम के फाइनेंस मिनिस्टर बनने के बाद कंपनी ने बातचीत से मामले का हल निकालने के लिए सरकार से संपर्क किया था। हालांकि, उसने आर्बिट्रेशन प्रोसिडिंग्स से इनकार नहीं किया है।