उत्तरप्रदेश में गहराते जा रहे बिजली संकट को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव काफी गुस्से में हैं।
उन्होंने सोमवार को प्रमुख सचिव ऊर्जा व पावर कारपोरेशन के चेयरमैन संजीव मित्तल तथा प्रबंध निदेशक ए.पी. मिश्र को अपने दफ्तर में तलब कर नाराजगी जताई है।
इससे पहले सचिवालय एनेक्सी में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे विधायकों का कहना था कि प्रदेश में बिजली आपूर्ति की समस्या गंभीर हो गई है।
गांवों में बमुश्किल चार-पांच घंटे ही बिजली पहुंच रही है और कहीं-कहीं तो कई-कई दिन बत्ती गुल रहती है। यही हाल रहा तो लोकसभा चुनाव में जनता को जवाब देते नहीं बनेगा।
बिजली संबंधी शिकायतों पर मुख्यमंत्री ने तत्काल प्रमुख सचिव ऊर्जा व पावर कारपोरेशन के चेयरमैन संजीव मित्तल तथा प्रबंध निदेशक ए.पी. मिश्र को अपने कार्यालय में बुलाया और समस्याओं का प्राथमिकता पर निराकरण कराकर उपभोक्ताओं को शिड्यूल के मुताबिक बिजली आपूर्ति के निर्देश दिए।
बीते सप्ताह कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों ने बिजली संकट का मसला उठाते हुए अफसरों को आड़े हाथ लिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव और पावर कारपोरेशन के आला अफसरों की बैठक बुलाकर आपूर्ति व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए थे लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।
सोमवार को विधायकों का गुस्सा अखिलेश के सामने फूट पड़ा। विधायकों का यह भी कहना था कि क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मरों को बदलने में काफी वक्त लग रहा है।
फील्ड में तैनात अभियंता मनमानी कर रहे हैं। जनता की कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
एक साथ कई विधायकों ने ग्रामीण इलाकों में बिजली न पहुंचने और शहरी इलाकों में बड़े पैमाने पर अघोषित कटौती होने की बात कही तो मुख्यमंत्री ने तत्काल जिम्मेदार अफसरों को तलब किया।
चेयरमैन और एमडी अपनी सफाई देते रहे। अफसरों ने बताया कि बिजली की कमी है और अतिरिक्त बिजली खरीदने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन मिल नहीं पा रही है।
एनर्जी एक्सचेंज से 500-1000 मेगावाट बिजली खरीदकर कमी पूरी की जा रही है। अफसरों की सफाई मुख्यमंत्री के गले नहीं उतरी।
उन्होंने अफसरों से साफ कहा कि जनप्रतिनिधियों की जो भी समस्याएं या शिकायतें हैं उन्हें नोट करके तत्काल निराकरण कराया जाए।